Environmental Geography book by Dr. Ratan Joshi Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/environmental-geography-book-by-dr-ratan-joshi/ Sahitya Bhawan Publications Sun, 05 Mar 2023 14:51:06 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://i0.wp.com/sahityabhawanpublications.com/wp-content/uploads/2017/10/cropped-sbp_tmp_logo.png?fit=32%2C32&ssl=1 Environmental Geography book by Dr. Ratan Joshi Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/environmental-geography-book-by-dr-ratan-joshi/ 32 32 136782354 पर्यावरण भूगोल (Environmental Geography) https://sahityabhawanpublications.com/product/environmental-geography-hindi-book/ https://sahityabhawanpublications.com/product/environmental-geography-hindi-book/#respond Mon, 03 Feb 2020 12:49:40 +0000 https://sahityabhawanpublications.com/?post_type=product&p=11285
  • General Edition For Various Universities
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    पर्यावरण भारतीय संस्कृति, दर्शन एवं चिन्तन का अभिन्न अंग रहा है। हमारे वेदों, पुराणों, पंचतंत्र व जातक कथाओं, उत्सवों, त्योहारों व संस्कारों में पर्यावरण संरक्षण का संदेश गुंथा हुआ है, जिसे हमने पाश्चात्य भोगवादी संस्कृति केेेेेे प्रभाव में बिसरा दिया है। मनुष्य प्रकृति विजय का स्वप्न साकार करने की चेष्टा में भुला बैठा है कि वह भी प्रकृति पुत्र है। आधुनिक युग में प्रकृति की अवमानना व पर्यावरण अवनयन का प्रतिफल वैश्विक तापन, प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि, ओजोन परत क्षरण, अम्लीय वर्षा, मरुस्थलीकरण इत्यादि रूपों में प्रकट हो रहा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण हमारी आस्था व श्रद्धा की प्रतीक जीवनदायिनी नदियां मलवाही नालों में बदल रही हैं। प्राणवायु देने वाला वायुमण्डल दमघोटु हो गया है। इसके लिए शासन तंत्र की उदासीनता एवं आम नागरिक का पर्यावरण के प्रति कत्र्तव्यच्युत होना, समान रूप से उत्तरदायी है। हमारी नदियों, झीलों, पहाड़ियों, वन सम्पदा तथा वायुमण्डल का नैसर्गिक स्वरूप बचाने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को आदेश व निर्देश देने पड़े हैं। आज प्रत्येक स्तर पर औपचारिक व अनौपचारिक रूप में पर्यावरण शिक्षा की महती आवश्यकता है।

    मानव-प्रकृति सम्बन्ध सदैव भूगोल का आधारी विषय-वस्तु रहा है। देश के अधिकांश विश्वविद्य़ालयों के स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में ”पर्यावरण भूगोल“ प्रश्न-पत्र सम्मिलित किया गया है। इसी क्रम में ”पर्यावरण भूगोल“ पुस्तक की रचना विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए पाठ्य-पुस्तक के रूप में की गई है। पुस्तक की उपादेयता मात्र शिक्षण संस्थाओं तक सीमित न रहकर उन सभी लोगों के लिए भी है, जो पर्यावरण विषयक रुचि व जिज्ञासा रखते हैं। यह पुस्तक कदाचित आमजन में पर्यावरण चेतना व कर्तव्यभाव जाग्रत करने में भी उपयोगी सिद्ध होगी।

    पर्यावरण भूगोल Environmental Geography Book विषय-सूची

    1. पर्यावरण भूगोल: परिभाषा, विषय-क्षेत्र एवं संकल्पना
    2. पर्यावरण: मानव-पर्यावरण सम्बन्ध
    3. पारिस्थितिकी, पारिस्थितिक तन्त्र एवं जीवमण्डल
    4. जैव विविधता एवं संरक्षण
    5. पर्यावरण ह्रास एवं पारिस्थितिकी संकट
    6. पर्यावरण प्रदूषण: वायु प्रदूषण
    7. पर्यावरण प्रदूषण: जल एवं मृदा प्रदूषण
    8. पर्यावरण प्रदूषण: शोर प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, रेडियोएक्टिव प्रदूषण व ठोस अपशिष्ट प्रदूषण
    9. पर्यावरणीय मुद्दे: अम्ल वर्षा, ओजोन क्षरण, ग्रीनहाउस प्रभाव, भूमण्डलीय ऊष्मन व जलवायु परिवर्तन
    10. पर्यावरणीय मुद्दे: अम्ल-नीनो, मरुस्थलीकरण, जल संकट, ऊर्जा संकट तथा पर्यावरण पर हरित क्रान्ति के प्रभाव
    11. उष्ण कटिबन्ध, शीतोष्ण कटिबन्ध एवं ध्रुवीय पारिस्थितिक तन्त्र में पर्यावरणीय समस्याएं
    12. पर्यावरण प्रबन्धन, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन, आपदा प्रबन्धन एवं सम्पोषित विकास
    13. पर्यावरणीय कानून
    14. पर्यावरण सम्बन्धी संस्थाएं, संगठन व कार्यक्रम, पर्यावरण शिक्षा

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