Latest Book on Political Sociology Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/latest-book-on-political-sociology/ Sahitya Bhawan Publications Thu, 17 Mar 2022 06:32:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://sahityabhawanpublications.com/wp-content/uploads/2017/10/cropped-sbp_tmp_logo-32x32.png Latest Book on Political Sociology Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/latest-book-on-political-sociology/ 32 32 राजनीतिक समाजशास्त्र (Political Sociology) https://sahityabhawanpublications.com/product/political-sociology-ba-2-semester-chaudhary-charan-singh-university-meerut/ https://sahityabhawanpublications.com/product/political-sociology-ba-2-semester-chaudhary-charan-singh-university-meerut/#respond Tue, 15 Mar 2022 11:15:29 +0000 https://sahityabhawanpublications.com/?post_type=product&p=20433
  • चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय, मेरठ के शैक्षणिक सत्र 2021-22 से प्रभावी न्यूनतम सामान पाठ्यक्रम (Common Minimum Syllabus) के अनुसार बी.ए. (समाजशास्त्र) सेमेस्टर II (Course I) हेतु पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य पुस्तक 
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    प्रस्तुत पुस्तक ‘राजनितिक समाजशास्त्र’ चौधरी चरण विश्वविद्यालय, मेरठ के शैक्षणिक सत्र 2021-22 से प्रभावी न्यूनतम सामान पाठ्यक्रम (Common Minimum Syllabus) के अनुसार बी.ए. (समाजशास्त्र) सेमेस्टर II हेतु नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गयी है |

    • नवीन परीक्षा प्रणाली के अनुरूप पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में दीर्घ उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न तथा आती लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर सहित) एवं बहुविकल्पीय प्रश्न (उत्तर सहित ) दिए गए है |
    • राजनीति संगठित समाज का अध्ययन है और इसलिए समाजशास्त्र से उसको अलग नहीं किया जा सकता | समाजशास्त्र अपनी उत्पत्ति के प्रारम्भिक काल से ही राजनितिक प्रक्रियाओं एवं संस्थाओं का अथ्ययन कर रहा है | आधुनिक काल में अनेक राजनीतिशस्त्रियों ने राजनितिक प्रक्रियाओं की वास्तविकता को समझने के लिए उन समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों का प्रयोग किया है जो राजनितिक व्यवहारों एवं घटनाओं पर प्राकश डालते है | यह बात सर्वविदित है की कोई भी राजनितिक कार्य व संस्था सामाजिक व्यवस्था से अलग नहीं होती है | राजनीति में होने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन एक व्यापक सामाजिक सन्दर्भ में ही उचित प्रकार से हो सकता है |
    • आज राजनीति का समाजीकरण और समाज का राजनीतिकरण हो गया है | दोनों एक-दूसरे से घुल-मिल गए है | ‘राजनितिक समाजशास्त्र’ इसी मिले-जुले रूप का अध्ययन करता है |
    • प्रस्तुत पुस्तक ‘राजनितिक समाजशास्त्र’ को सहज और सुबोध भाषा-शैली में प्रस्तुत करने का विनम्र प्रयास है | इसमें विषय से सम्बध्द सभी पक्षों, यथा–मूल-भुत अवधारणाएं : राजनीति का समाजशास्त्र, शक्ति, सत्ता (प्राधिकार), नेतृत्व, नोकरशाही, राजनितिक दल, राजनितिक समाजीकरण तथा राजनितिक संचारण या लामबन्दी, चुनाव आयोग की भूमिका, समाज में शक्ति वितरण के अभिजन या विशिष्ट वर्ग सिद्धान्त : मोस्का, परेटो और सी. राइट मिल्स, दबाव समूह और हिट समूह, लोकमत : मास मिडिया की भूमिका, भारत में राजनितिक प्रक्रिया : जाती, धर्म क्षेत्रीयतवाद और भाषा की भूमिका आदि का विशद विवेचन हुआ है |

     राजनीतिक समाजशास्त्र (Political Sociology) Syllabus For B.A. IInd Semester of Chaudhary Charan Singh University, Meerut

    Course outcomes : This paper is designed in this manner, so that students are introduced to the concepts related to Indian Society. They are made familiar with the Indian Society, its linkages and continuity with past and present. It also gives insights
    to analyze contemporary Indian Society. This paper provides comprehensive understanding of Indian Society.

    1. Basic Concepts : Sociology of Politics, Power, Authority, Leadership, Bureaucracy.
    2. Political Parties, Political Socialization, Political Mobilization
    3. Role of Election Commission
    4. Elite Theories of Distribution of Power in Society : Mosca, Pareto and C. W. Mills
    5. Pressure Groups and Interests Groups : Nature, Bases, Political Significance
    6. Public Opinion : Role of Mass Media
    7. Political Process in India : Role of Caste, Religion
    8. Role of Regionalism and Language in Indian Politics

    विषय-सूची

    1. मूल-भूत अवधारणाएं : राजनीति का समाजशात्र
    2. शक्ति
    3. सत्ता (प्राधिकार)
    4. नेतृत्व
    5. नौकरशाही
    6. राजनितिक दल
    7. राजनितिक समाजीकरण तथा राजनितिक संचारण या लामबन्दी
    8. चुनाव आयोग की भूमिका
    9. समाज में शक्ति वितरण के सिद्धान्त : अभिजन सिद्धान्त
    10. दबाव समूह और हित समूह
    11. लोकमत : मास मिडिया की भूमिका
    12. भारत में राजनितिक प्रक्रिया : जाती की भूमिका
    13. भारत में राजनितिक प्रक्रिया : धर्म की भूमिका
    14. भारतीय राजनीति में क्षेत्रीयतावाद की भूमिका
    15. भारतीय राजनीति में भाषा की भूमिका

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