Public Administration books in hindi Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/public-administration-books-in-hindi/ Sahitya Bhawan Publications Thu, 13 Jun 2024 17:02:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://sahityabhawanpublications.com/wp-content/uploads/2017/10/cropped-sbp_tmp_logo-32x32.png Public Administration books in hindi Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/public-administration-books-in-hindi/ 32 32 लोक प्रशासन (Public Administration) https://sahityabhawanpublications.com/product/public-administration-5/ https://sahityabhawanpublications.com/product/public-administration-5/#comments Mon, 23 Oct 2017 14:39:15 +0000 http://sahityabhawanpublications.com/?post_type=product&p=2316 For B.A I Year of Pandit Deendayal Upadhyaya Shekhawati University (PDUSU), Raj Rishi Bhartrihari Matsya University Alwar (RRBMU), Maharaja Surajmal Brij University Bharatpur (MSBU), University Rajasthan College (UNIRAJ), Maharshi Dayanand Saraswati University Ajmer (MDSU), University of Kota (UOK), Maharaja Ganga Singh University Bikaner (MGSU), Mohanlal Sukhadia University Udaipur (MLSU)

  • Paper-I: लोक प्रशासन के तत्व (Elements of Public Administration)
  • Paper-II: भारत में लोक प्रशासन (Public Administration in India)

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‘लोक प्रशासन’ पुस्तक का पूर्णतः संशोधित दसवां संस्करण पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है। प्रस्तुत संस्करण को नए संशोधित पाठ्यक्रमानुसार पूर्णतया परिमार्जित और संशोधित किया गया है।
  • देश की स्वाधीनता के अनन्तर ‘लोक प्रशासन’ कानून और व्यवस्था के क्षेत्र तक सीमित न रहकर जन-जीवन से सम्बद्ध समस्त गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। लोककल्याणकारी राज्य के अन्तर्गत विकास के चरण प्रगति की विविध दिशाओं में जिस गति से बढ़ रहे हैं उसी क्रम से नए-नए संगठनों का निर्माण और उनका विधिवत् संचालन भारत में प्रशासकों के लिए नित्य नई चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में देश के नागरिकों की बढ़ती हुई अभिरुचि के साथ ही प्रशासक वर्ग का उत्तरदायित्व भी बढ़ता जा रहा है। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि ‘लोक प्रशासन’ आज एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय बन गया है कि उसके विविध पक्षों और स्वरूपों के सम्बन्ध में विद्यार्थियों को अधिक-से-अधिक परिचित कराया जाए।
  • द्वितीय प्रश्न-पत्र भारत में लोक प्रशासन के अधिकांश महत्वपूर्ण पहलुओं का विवेचन किया गया है। पुस्तक में केन्द्रीय सचिवालय, मन्त्रिमण्डल सचिवालय, अखिल भारतीय सेवाएं, सार्वजनिक वित्त पर नियन्त्रण, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013, भारत में प्रशासनिक सुधार जैसे विषयों पर नवीनतम सामग्री प्रस्तुत की गई है। पुस्तक को सरल भाषा एवं सुबोध शैली में लिखा गया है।

लोक प्रशासन (Public Administration) Book Syllabus

प्रथम प्रश्न-पत्र: लोक प्रशासन के तत्व
प्रथम खण्ड: लोक प्रशासन का अर्थ, प्रकृति व क्षेत्र, आधुनिक समाज में लोक प्रशासन का महत्व, लोक व निजी प्रशासन, लोक प्रशासन के अध्ययन का विकास, लोक प्रशासन एक सामाजिक विज्ञान के रूप में तथा लोक प्रशासन का अन्य सामाजिक विज्ञानोंकृराजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, कानून व मनोविज्ञान से सम्बन्ध, लोक प्रशासन के अध्ययन के उपागमकृशास्त्रीय एवं मानवीय।

द्वितीय खण्ड: संगठन – अर्थ, औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन, संगठन के सिद्धान्तकृपदसोपान, आदेश की एकता, नियन्त्रण का क्षेत्र, समन्वय, केन्द्रीकरण, विकेन्द्रीकरण, सत्ता एवं उत्तरदायित्व। मुख्य कार्यपालिका, सूत्र एवं स्टाॅफ अभिकरण, पर्यवेक्षण, प्रत्यायोजन, नेतृत्व, संचार, निर्णय-निर्माण, लोक सम्पर्क।

तृतीय खण्ड: बजट: अर्थ एवं प्रकार, बजट के सिद्धान्त, सामाजिक-आर्थिक नीति के साधन के रूप में बजट, कार्मिक प्रशासन: अर्थ, प्रकृति एवं महत्व, नौकरशाही की प्रकृति, लोक सेवा और विकासशील समाज में इसकी भूमिका, वर्गीकरण: लोक सेवकों की भर्ती, प्रशिक्षण, पदोन्नति, लोक प्रशासन में मनोबल एवं अभिप्रेरणा।

द्वितीय प्रश्न-पत्र: भारत में लोक प्रशासन
प्रथम खण्ड: भारतीय प्रशासन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमिकृब्रिटिश काल के प्रभावों के विशेष सन्दर्भ में, भारतीय प्रशासन की मुख्य विशेषताएं, संघीय कार्यपालिका: राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री एवं मन्त्रिपरिषद, केन्द्रीय सचिवालय, मन्त्रिमण्डल सचिवालय।

द्वितीय खण्ड: गृह मन्त्रालय, कार्मिक पेंशन एवं लोक शिकायत मन्त्रालय का संगठन व कार्यकारण, लोक उद्यमों के प्रमुख प्रकार: विभाग, निगम एवं कम्पनी प्रणाली, लोक उपक्रमों की संसदीय समिति, वित्तीय प्रशासन: बजट का निर्माण, बजट का संसद में अनुमोदन एवं बजट का क्रियान्वयन, नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक, लोक लेखा समिति, अनुमान समिति।

तृतीय खण्ड: कार्मिक प्रशासन: भारतीय लोक सेवकों का वर्गीकरण, अखिल भारतीय सेवाओं में भर्ती एवं प्रशिक्षण, प्रशासन पर नियन्त्रण: विधायी, कार्यपालिका व न्यायिक नियन्त्रण, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, लोक परिवेदनाओं का निवारण, प्रशासनिक सुधार, कार्मिक प्रशासन एवं भ्रष्टाचार के विशेष सन्दर्भ में प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग एवं द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग का तुलनात्मक अध्ययन।
लोक प्रशासन (Public Administration) विषय-सूची
लोक प्रशासन के तत्व
  1. लोक प्रशासन: अर्थ तथा क्षेत्र
  2. लोक प्रशासन का स्वरूप: कला अथवा विज्ञान
  3. आधुनिक समाज में लोक प्रशासन का महत्व
  4. लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन
  5. अध्ययन के विषय के रूप में लोक प्रशासन का विकास
  6. लोक प्रशासन और अन्य सामाजिक विज्ञान
  7. लोक प्रशासन के अध्ययन के उपागम
  8. संगठन: औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन
  9. संगठन संबंधी उपागम
  10. संगठन के सिद्धान्त
  11. पदसोपान
  12. आदेश की एकता
  13. नियन्त्रण की सीमा
  14. समन्वय
  15. केन्द्रीकरण बनाम विकेन्द्रीकरण
  16. सत्ता (प्राधिकार) एवं उत्तरदायित्व
  17. प्रत्यायोजन
  18. मुख्य कार्यपालिका
  19. सूत्र तथा स्टाफ
  20. पर्यवेक्षण
  21. नेतृत्व
  22. संचार
  23. प्रशासन में निर्णय निर्माण
  24. लोक सम्पर्क
  25. बजट: अर्थ एवं प्रकार, बजट के सिद्धान्त
  26. सामाजिक-आर्थिक नीति के साधन के रूप में बजट
  27. नौकरशाही एवं लोक सेवा: विकासशील समाज में इसकी भूमिका
  28. लोक सेवकों की भर्ती
  29. लोक सेवकों का प्रशिक्षण
  30. लोक सेवकों की पदोन्नति
  31. लोक सेवा में पद वर्गीकरण
  32. लोक सेवा में मनोबल
  33. लोक सेवा में अभिप्रेरणा

भारत में लोक प्रशासन

  1. भारतीय प्रशासन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ब्रिटिश काल का प्रभाव
  2. भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएं
  3. संघीय कार्यपालिका: राष्ट्रपति
  4. संघीय कार्यपालिका: प्रधानमन्त्री और मन्त्रिपरिषद्
  5. केन्द्रीय सचिवालय: संगठन एवं कार्यप्रणाली
  6. मन्त्रिमण्डल सचिवालय: संगठन एवं कार्यप्रणाली
  7. गृह मन्त्रालय तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मन्त्रालय
  8. भारत में लोक उद्य़म (सार्वजनिक उपक्रम)
  9. भारत में प्रशासन पर नियन्त्रण
  10. भारत में बजट सम्बन्धी प्रक्रिया
  11. भारत का नियन्त्रक तथा महालेखा परीक्षक
  12. सार्वजनिक वित्त पर नियन्त्रण (लोक लेखा समिति तथा प्राक्कलन समिति)
  13. भारत में लोक सेवा: विकास
  14. भारत में लोक सेवाएं: पद वर्गीकरण
  15. अखिल भारतीय सेवाएं: भर्ती एवं प्रशिक्षण
  16. भारतीय प्रशासनिक सेवा
  17. प्रशासन में भ्रष्टाचार की समस्या
  18. सार्वजनिक शिकायतों का निवारण: लोकपाल एवं लोकआयुक्त
  19. भारत में प्रशासनिक सुधार: प्रशासनिक सुधार आयोग की अनुशंसाएं
  20. प्रथम एवं द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (कार्मिक प्रशासन एवं भ्रष्टाचार के विशेष संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन)

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लोक प्रशासन (Public Administration) https://sahityabhawanpublications.com/product/public-administration-4/ https://sahityabhawanpublications.com/product/public-administration-4/#comments Wed, 18 Oct 2017 07:24:13 +0000 http://sahityabhawanpublications.com/?post_type=product&p=1914
  • Thoroughly Revised Edition 2019
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    देश की स्वाधीनता के अनन्तर लोक प्रशासन कानून और व्यवस्था के क्षेत्र तक सीमित न रहकर जनजीवन से सम्बद्ध समस्त गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। विकास के चरण प्रगति की विविध दिशाओं में जिस गति से बढ़ रहे हैं उसी क्रम से नए-नए संगठनों का निर्माण और उनका विधिवत् संचालन प्रशासकों के लिए नित्य नई चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। विभिन्न योजनाओं में देश के नागरिकों की बढ़ती हुई अभिरुचि के साथ ही प्रशासक वर्ग का उत्तरदायित्व भी बढ़ता जा रहा है। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन आज एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय बन गया है कि उसके विविध पक्षों और स्वरूपों के सम्बन्ध में देश के बौद्धिक वर्ग को अधिक-से-अधिक परिचित कराया जाए।

    प्रस्तुत लोक प्रशासन Public Administration पुस्तक में ‘लोक प्रशासन: सिद्धान्त एवं व्यवहार’ से सम्बन्धित अध्येतव्य आवश्यक समस्त सामग्री एक ही स्थान पर सुलभ कर दी गई है। पुस्तक में जगह-जगह लोक प्रशासन के सिद्धान्त सूत्र को भारत, इंग्लैण्ड, अमरीका और फ्रांस के प्रशासनिक संस्थानों और उनकी कार्यविधियों के तुलनात्मक अध्ययन से जोड़ने का सचेष्ट प्रयास किया गया है। यथासम्भव ‘प्रबन्ध’ के सिद्धान्त और व्यवहार पक्ष को ऐसे प्रस्तुत किया गया है कि पाठक विषय को व्यापक धरातल पर भी रखकर देख सकें।

    लोक प्रशासन Public Administration Book विषय-सूची

    1. लोक प्रशासन: अर्थ तथा क्षेत्र
    2. लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व
    3. विकसित एवं विकासशील समाजों में लोक प्रशासन की भूमिका
    4. लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन
    5. लोक प्रशासन की अध्ययन प्रणाली
    6. लोक प्रशासन का स्वरूप: कला अथवा विज्ञान
    7. लोक प्रशासन और अन्य सामाजिक विज्ञान
    8. नवीन लोक प्रशासन
    9. संगठन: औपचारिक एवं अनौपचारिक
    10. संगठन सिद्धान्त: उपागम
    11. संगठन के सिद्धान्त
    12. संगठन की संरचना: मुख्य कार्यपालिका
    13. संगठन की संरचना: सूत्र तथा स्टाफ
    14. सूत्र अभिकरण: विभाग
    15. सूत्र अभिकरण: लोक निगम
    16. सूत्र अभिकरण: स्वतन्त्र नियामकीय आयोग
    17. प्रधान कार्यालय (मुख्यालय) तथा क्षेत्रीय संस्थाओं के बीच सम्बन्ध
    18. प्रशासन में निर्णय निर्माण प्रक्रिया: हर्बट साइमन
    19. प्रशासनिक प्रबन्ध के उपकरण: प्रशासनिक नेतृत्व
    20. प्रशासनिक प्रबन्ध के उपकरण: संचार अथवा संप्रेषणश्
    21. अभिप्रेरण अथवा प्रोत्साहन: मैस्लो, मैक्ग्रेगर एवं हर्जबर्ग
    22. लोक सेवा की अवधारणा
    23. लोक कर्मचारियों की भर्ती
    24. लोक कर्मचारियों का प्रशिक्षण
    25. लोक सेवा में पदोन्नति की समस्याएं एवं सिद्धान्त
    26. भारत में लोक सेवा: विकास की गाथा
    27. भारतीय प्रशासन में सामान्यज्ञों एवं विशेषज्ञों की भूमिका
    28. भारत में लोक सेवाएं: प्रशासनिक नैतिकता एवं आचार संहिता के सन्दर्भ में
    29. प्रशासन में सच्चरित्रता: भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में
    30. लोक सेवा में मनोबल
    31. ओम्बड्समेन का भारतीय प्रतिमान (लोकपाल और लोक आयुक्त)
    32. प्रशासन में मन्त्री-सचिव सम्बन्ध
    33. वित्तीय प्रशासन: बजट के तत्व
    34. भारत में बजट सम्बन्धी प्रक्रिया
    35. कार्य-निष्पादन बजट एवं शून्य आधारित बजट
    36. भारतीय लेखांकन तथा अंकेक्षण प्रणाली
    37. भारत का नियन्त्रक तथा महालेखा परीक्षक
    38. भारत में प्रशासन पर नियन्त्रण
    39. प्रतिनिहित विधान (प्रदत्त व्यवस्थापन): प्रशासकीय आवश्यकता
    40. प्रशासकीय अधिनिर्णय एवं प्रशासकीय न्यायाधिकरण
    41. लोक सम्पर्क

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    लोक प्रशासन (प्रशासनिक सिद्धांत) [Public Administration] https://sahityabhawanpublications.com/product/public_administration_c/ https://sahityabhawanpublications.com/product/public_administration_c/#respond Tue, 10 Oct 2017 05:24:12 +0000 http://sahityabhawanpublications.com/?post_type=product&p=741
  • For IAS UPSC Civil Services Examination.
  • For M.A (Political Science) IInd Semester of Jananayak Chandrashekhar University, Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith, Kurukshetra University. 
  • For M.A (Political Science) Ist Year of Govind Guru Tribal University, Jai Narain Vyas University, Kota University, Maharaja Ganga Singh University, Maharaja Surajmal Brij University, Mohanlal Sukhadia University, Pandit Deendayal Upadhyaya Shekhawati University, Raj Rishi Bhartrihari Matsya University, Rajasthan University
  • 26th Revised and Enlarged Edition: 2023
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    लोक प्रशासन [Public Administration] पुस्तक का 26वां संशोधित संस्करण पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है। प्रस्तुत संस्करण पूर्णतया परिमार्जित और संशोधित है।

    देश की स्वाधीनता के अनन्तर लोक प्रशासन कानून और व्यवस्था के क्षेत्र तक सीमित न रहकर जनजीवन से सम्बद्ध समस्त गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। विकास के चरण प्रगति की विविध दिशाओं में जिस गति से बढ़ रहे हैं उसी क्रम से नए-नए संगठनों का निर्माण और उनका विधिवत् संचालन प्रशासकों के लिए नित्य नई चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। विभिन्न योजनाओं में देश के नागरिकों की बढ़ती हुई अभिरुचि के साथ ही प्रशासक वर्ग का उत्तरदायित्व भी बढ़ता जा रहा है। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन आज एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय बन गया है कि उसके विविध पक्षों और स्वरूपों के सम्बन्ध में देश के बौद्धिक वर्ग को अधिक-से-अधिक परिचित कराया जाए।

    पिछले कई वर्षों में हमने यह अनुभव किया है कि ‘लोक प्रशासन’ के ‘सैद्धान्तिक अध्ययन’ के महत्व के प्रति रुचि उत्पन्न कराने के लिए हिन्दी में ठोस सामग्री वाली पुस्तकों की अविलम्ब आवश्यकता है। वैसे ‘लोक प्रशासन’ से सम्बन्धित अनेक पुस्तकें हिन्दी में प्रकाशित हुई हैं। इन सबके होते हुए भी मुझे नई पुस्तक लिखने की धुन क्यों सवार हुई? यह प्रश्न समाधेय है। अद्यावधि विशेषतः हिन्दी प्रणीत पुस्तकों की शैली जटिल तथा विषय-सामग्री दुर्बोध और अस्पष्ट है। कुछ तो एकपक्षीय या परिचयात्मक मात्र हैं जिससे उनमें विषय का विशद् विश्लेषणात्मक विवेचन नहीं हो पाया है। वास्तव में, एम. ए. तथा सिविल सर्विस प्रभृति परीक्षाओं में प्रविष्ट होने वाले अध्येताओं के लिए कतिपय प्रसंगों के विशद् विवेचन के स्थान पर एक ही पुस्तक में प्रायः सभी सहसम्बद्ध प्रसंगों की यथासम्भव अधिकतम जानकारी अभीष्ट होती है। प्रस्तुत पुस्तक का प्रणयन इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए हुआ है। इसमें ‘लोक प्रशासन: सिद्धान्त एवं व्यवहार’ से सम्बन्धित अध्येतव्य आवश्यक समस्त सामग्री एक ही स्थान पर सुलभ कर दी गई है। पुस्तक में जगह-जगह लोक प्रशासन के सिद्धान्त सूत्र को भारत, इंग्लैण्ड, अमरीका और फ्रांस के प्रशासनिक संस्थानों और उनकी कार्यविधियों के तुलनात्मक अध्ययन से जोड़ने का सचेष्ट प्रयास किया गया है। यथासम्भव ‘प्रबन्ध’ के सिद्धान्त और व्यवहार पक्ष को ऐसे प्रस्तुत किया गया है कि पाठक विषय को व्यापक धरातल पर भी रखकर देख सकें। सिविल सर्विस परीक्षा के पाठ्यक्रम को देखते हुए पुस्तक में कतिपय नवीन अध्यायकृविकास की अवधारणा, विकास विरोधी धारणा, विकास प्रशासन, तुलनात्मक लोक प्रशासन, विकसित एवं विकासशील समाजों में लोक प्रशासन की भूमिका, लोक प्रशासन का परिवेश, लोक प्रशासन एवं लोकनीति, लोक विकल्प (लोक चयन) सिद्धान्त, नवीन लोक प्रबन्ध ;छच्डद्धए राज्य बनाम बाजार चर्चा, प्रशासनिक संस्कृति, आलोचनात्मक सिद्धान्त एवं लोकसंगठन, तन्त्र विश्लेषण तकनीकेंकृपर्ट एवं सी. पी. एम., उद्यमी शासन, सुशासन की अवधारणा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं लोक प्रशासन, ई-प्रशासन, उदारीकरण, निजीकरण, भूमण्डलीकरण की चुनौतियां एवं लोक प्रशासन, नौकरशाही: आकार में कमी, सिविल समाज की अवधारणा, प्रशासन में जनसहभागिता तथा सूचना का अधिकार, प्रशासनिक नैतिकता, मौद्रिक नीतिकृउद्देश्य एवं साधन, राजकोषीय नीति और उसके उपकरण, सार्वजनिक ऋण एवं शिकायत समाधान तन्त्र भी यथास्थान सम्मिलित कर दिए गए हैं।

    लोक प्रशासन (प्रशासनिक सिद्धांत) [Public Administration] Book विषय-सूची

    लोक प्रशासन: सामान्य परिचय

    1. लोक प्रशासन: अर्थ तथा क्षेत्र
    2. लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व
    3. विकसित एवं विकासशील समाजों में लोक प्रशासन की भूमिका
    4. लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन
    5. सार्वजनिक-निजी भागीदारी
    6. लोक प्रशासन की अध्ययन प्रणाली
    7. अध्ययन के विषय के रूप में लोक प्रशासन का विकास
    8. लोक प्रशासन का स्वरूप: कला अथवा विज्ञान
    9. लोक प्रशासन और अन्य सामाजिक विज्ञान
    10. वुडरो विल्सन की दृष्टि में लोक प्रशासन
    11. राजनीति और प्रशासन
    12. लोक प्रशासन में नए आयाम
    13. नवीन लोक प्रशासन
    14. विकास की अवधारणा
    15. विकास प्रशासन: अवधारणा
    16. तुलनात्मक लोक प्रशासन: प्रकृति एवं क्षेत्र
    17. लोक प्रशासन का परिवेश
    18. लोक प्रशासन एवं लोक नीति
    19. लोक विकल्प (लोकचयन) सिद्धान्त और लोक प्रशासन
    20. नवीन लोक प्रबन्ध
    21. राज्य बनाम बाजार चर्चा
    22. प्रशासनिक संस्कृति
    23. उदारीकरण, निजीकरण एवं भूमण्डलीकरण की चुनौतियां तथा लोक प्रशासन
      संगठन
    24. संगठन: औपचारिक एवं अनौपचारिक
    25. संगठन सिद्धान्त: उपागम
    26. संगठन के सिद्धान्त
    27. मुख्य कार्यपालिका: चेस्टर बर्नार्ड
    28. सूत्र तथा स्टाफ
    29. सूत्र अभिकरण: विभाग
    30. सूत्र अभिकरण: लोक निगम
    31. सूत्र अभिकरण: स्वतन्त्र नियामकीय आयोग
    32. सार्वजनिक उपक्रम का कम्पनी प्रारूप
    33. बोर्ड तथा आयोग
    34. प्रधान कार्यालय (मुख्यालय) तथा क्षेत्रीय संस्थाओं के बीच सम्बन्ध
      प्रबन्ध
    35. प्रबन्ध: सहभागी प्रबन्ध की अवधारणा (मैकग्रेगर, लिकर्ट एवं आर्गरिस)
    36. वैज्ञानिक प्रबन्ध: फ्रेडरिक डब्ल्यू. टेलर
    37. प्रशासन में निर्णय निर्माण प्रक्रिया: हर्बर्ट साइमन
    38. प्रशासनिक नेतृत्व
    39. सत्ता (प्राधिकार) एवं उत्तरदायित्व, मैक्सवेबर, मैरी पार्कर फाॅलेट एवं चेस्टर बर्नार्ड
    40. प्रत्यायोजन
    41. प्रशासनिक नियोजन
    42. संचार अथवा संप्रेषण तथा प्रबन्ध सूचना प्रणाली
    43. अभिप्रेरण अभिप्रेरण अथवा प्रोत्साहन: मैस्लो, मैकग्रेगर एवं हर्जबर्ग
    44. प्रशासनिक प्रबन्ध के उपकरण: नियन्त्रण (तन्त्र विश्लेषण तकनीकें: पर्ट एवं सी. पी. एम.) और पर्यवेक्षण
    45. प्रबन्ध में मानवीय सम्बन्ध: एल्टन मेयो
      कार्मिक प्रशासन
    46. नौकरशाही की अवधारणा (मैक्स वेबर, कार्ल माक्र्स, मोस्का एवं मिचेल्स के विचारों के सन्दर्भ में)
    47. लोक सेवा की अवधारणा
    48. लोक सेवाओं का विकास
    49. लोक कर्मचारियों की भर्ती
    50. भारत में संघ लोक सेवा आयोग (संगठन, कार्य और भूमिका)
    51. लोक कर्मचारियों का प्रशिक्षण
    52. लोक सेवा में पदोन्नति की समस्याएं एवं सिद्धान्त
    53. लोक सेवा में पद वर्गीकरण तथा वेतनक्रम
    54. भारत में लोक सेवा: विकास की गाथा
    55. अखिल भारतीय सेवाएं
    56. भारतीय प्रशासनिक सेवा
    57. केन्द्रीय लोक सेवाएं
    58. नौकरशाही एवं विकास
    59. भारतीय प्रशासन में सामान्यज्ञों एवं विशेषज्ञों की भूमिका
    60. प्रतिबद्ध नौकरशाही: भारतीय सन्दर्भ
    61. नियोक्ता-कर्मचारी सम्बन्ध: ह्विटले परिषदें
    62. भारत में लोक सेवाएं: प्रशासनिक नैतिकता एवं आचार संहिता के सन्दर्भ में
    63. जीवन वृत्ति-विकास
    64. कार्य निष्पादन मूल्यांकन
    65. प्रशासन में सच्चरित्रता: भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में
    66. लोक सेवा में मनोबल
    67. ओम्बड्समेन का भारतीय प्रतिमान (लोकपाल और लोकआयुक्त)
    68. प्रशासन में मन्त्री-सचिव सम्बन्ध
      वित्तीय प्रशासन
    69. वित्तीय प्रशासन: बजट के तत्व
    70. भारत में बजट सम्बन्धी प्रक्रिया
    71. कार्य-निष्पादन बजट एवं शून्य आधारित बजट
    72. सार्वजनिक वित्त पर नियन्त्रण
    73. भारतीय लेखांकन तथा अंकेक्षण प्रणाली
    74. भारत का नियन्त्रक तथा महालेखा परीक्षक
    75. मौद्रिक नीति: उद्देश्य एवं साधन
    76. राजकोषीय नीति और उसके उपकरण
    77. सार्वजनिक ऋण
      प्रशासनिक सुधार
    78. प्रशासनिक सुधार: प्रारम्भिक चिन्तन एवं यत्न
    79. भारत में प्रशासनिक सुधार
    80. ओ तथा एम (O & M)अथवा संगठन तथा प्रणालियां
    81. उद्यमी शासन
    82. सुशासन (उत्तम अभिशासन) की अवधारणा
    83. सूचना प्रौद्योगिकी एवं लोक प्रशासन
    84. ई-प्रशासन अथवा ई-अधिशासन
    85. नौकरशाही: आकार में कमी
      नागरिक तथा प्रशासन: विविध पक्ष
    86. भारत में प्रशासन पर नियन्त्रण
    87. प्रतिनिहित विधान (प्रदत्त व्यवस्थापन): प्रशासकीय आवश्यकता
    88. प्रशासकीय कानून
    89. प्रशासकीय अधिनिर्णय एवं प्रशासकीय न्यायाधिकरण
    90. लोक सम्पर्क
    91. नागरिक एवं प्रशासन: मीडिया की भूमिका, दबाव एवं हित समूह, स्वयंसेवी संगठन, सिविल समाज की अवधारणा, प्रशासन में जनसहभागिता, सूचना का अधिकार तथा सामाजिक अंकेक्षण
    92. नागरिक एवं प्रशासन: नागरिक चार्टर
    93. शिकायत समाधान तन्त्र
    94. महिला एवं विकास
    95. स्वयं सहायता समूह

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