Social Problem in Contemporary India books in hindi Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/social-problem-in-contemporary-india-books-in-hindi/ Sahitya Bhawan Publications Tue, 25 Jun 2024 11:22:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://i0.wp.com/sahityabhawanpublications.com/wp-content/uploads/2017/10/cropped-sbp_tmp_logo.png?fit=32%2C32&ssl=1 Social Problem in Contemporary India books in hindi Archives - Sahitya Bhawan Publications https://sahityabhawanpublications.com/product-tag/social-problem-in-contemporary-india-books-in-hindi/ 32 32 136782354 समकालीन भारत में सामाजिक समस्याएं (Social Problem in Contemporary India) https://sahityabhawanpublications.com/product/social-problem-contemporary-india-hindi/ https://sahityabhawanpublications.com/product/social-problem-contemporary-india-hindi/#comments Thu, 12 Oct 2017 01:59:33 +0000 http://sahityabhawanpublications.com/?post_type=product&p=995
  • For B.A IInd Year of Maharaja Ganga Singh University
  • For B.A IIIrd Year of Kota University.
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    समकालीन भारत में सामाजिक समस्याएं Social Problem in Contemporary India पुस्तक में ‘समकालीन भारत में सामाजिक समस्याएं’ की आलोचनात्मक दृष्टिकोण से विचार किया गया है। समस्याएं प्रत्येक समाज में पाई जाती हैं और साथ ही उन्हें हल करने के प्रयत्न भी चलते रहते हैं। समकालीन भारतीय समाज में भी विविध सामाजिक समस्याओं को सुलझाने की दृष्टि से काफी प्रयत्न हुए हैं, परन्तु प्रयत्न में कहां तक सफलता मिली है, यह एक विवादास्पद प्रश्न है। जब तक किसी सामाजिक समस्या को उसके सही परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा जाता, उसकी गहराई तक पहुंचने का सही प्रयत्न नहीं किया जाता, उसके विविध अन्तर्सम्बन्धित कारणों का पता लगाने की कोशिश नहीं की जाती, तब तक उसका सही निदान सम्भव नहीं है। किसी समस्या पर एकाकी दृष्टिकोण से विचार करके हम सही स्थिति तक नहीं पहुंच सकते। यही कारण है कि लेखकों ने विभिन्न समस्याओं को एक.दूसरे से पूर्णतः पृथक् नहीं मानते हुए उन्हें घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित माना है। एक समस्या किसी दूसरी समस्या का कारण अथवा परिणाम बन जाती है। अतः प्रस्तुत पुस्तक में प्रत्येक सामाजिक समस्या की तह तक जाने का, उसके विविध कारकों का पता लगाने का, उसको हल करने हेतु किए गए प्रयत्नों की जानकारी प्राप्त करने तथा उनके मूल्यांकन का प्रयास किया गया है। साथ ही सामाजिक समस्याओं के क्षेत्र में किए गए अनुसन्धानों के निष्कर्षों को भी ध्यान में रखा गया है। लेखकों ने सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से अपने आपको मुक्त रखते हुए सर्वत्र वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बनाए रखने का प्रयास किया है। यहां सभी सामाजिक समस्याओं पर समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से विचार किया गया है और उनके निराकरण हेतु रचनात्मक सुझाव दिए गए हैं। हमारी यह मान्यता यह है कि जब तक व्यक्ति यह नहीं समझ ले कि अन्य व्यक्तियों के हित में उसका हित है, वह दूसरों के लिए कुछ कर सकता है, व्यक्ति और समाज के जीवन को उन्नत बनाने में योग दे सकता है, तब तक समस्याओं को हल करने के प्रयत्न प्रयत्नमात्र ही रहेंगे। अधूरे प्रयत्नों की सफलता संदिग्ध ही रहती है। आज यह बात राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रमाणित हो चुकी है। इन्हीें सब दृष्टिकोणों से सामाजिक समस्याओं से सम्बन्धित प्रामाणिक सामग्री को पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है।

    लेखन.शैली में इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है कि पुस्तक में वर्णित सामग्री को विद्यार्थी सरलतापूर्वक समझ सकें। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए शीर्षकों, उप.शीर्षकों एवं अवधारणाओं के लिए अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया गया है। पुस्तक की अद्वितीय विशेषता यह है कि इसमें नवीनतम् सामग्री का समावेश किया गया है।
    द्वितीय प्रश्न.पत्र: समकालीन भारत में सामाजिक समस्याएं Social Problem in Contemporary India Syllabus

    इकाई-I

    सामाजिक समस्याओं का अवधारणात्मक पक्ष
    • सामाजिक समस्याएं एवं सामाजिक विघटन: अर्थ एवं सम्बन्ध
    • सामाजिक समस्याएं: सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य
    • सामाजिक समस्याएं: प्रकार एवं कारक
    इकाई-II

    समकालीन भारत में संरचनात्मक समस्याएं

    • ग्रामीण समस्याएं एवं लिंग विभेद की समस्या
    • साम्प्रदायिकतावाद एवं अल्पसंख्यकों की समस्याएं
    • सामाजिक दृष्टि से वंचित वर्गों की समस्याएं: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति

    इकाई-III

    समकालीन भारत में पारिवारिक समस्याएं
    • दहेज एवं विवाद.विच्छेद
    • बाल विवाह एवं वृद्धजनों की समस्याएं
    • एड्स एवं भारत में युवाओं की समस्याएं

    इकाई-IV

    समकालीन भारत में विघटनकारी समस्याएं
    • अपराध एवं बाल अपराध
    • भ्रष्टाचार एवं मादक द्रव्यों का सेवन
    • जातिवाद एवं आतंकवाद

    इकाई.V

    समकालीन भारत में विकास सम्बन्धी समस्याएं
    • निर्धनता एवं बेरोजगारी
    • अशिक्षा एवं पर्यावरण प्रदूषण
    • गन्दी बस्तियां एवं विकास से उत्पर्धनता एवं बेरोजगारी
    समकालीन भारत में सामाजिक समस्याएं Social Problem in Contemporary India Book विषय-सूची
    1. निर्धनता
    2. जाति एवं लैंगिक विषमता
    3. धार्मिक, नृजातीय एवं क्षेत्रीय समस्याएं
    4. अल्पसंख्यक
    5. पिछड़े वर्ग
    6. दलित
    7. मानवाधिकारों का उल्लंघन
    8. दहेज
    9. घरेलू (पारिवारिक) हिंसा
    10. विवाह.विच्छेद (तलाक)
    11. अन्तः तथा अन्तर्पीढ़ीय संघर्ष
    12. बुजुर्गों की समस्याएं
    13. विकास से सम्बन्धित विस्थापन
    14. पारिस्थितिकीय पतन (अपकर्ष)
    15. उपभोक्तावाद
    16. मूल्यों का संकट
    17. अपराध
    18. बाल अपराध
    19. श्वेतवसन अपराध एवं अपराधी
    20. मादक द्रव्य व्यसन
    21. आत्महत्या
    22. आतंकवाद
    23. साइबर अपराध
    24. सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार

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