प्रस्तुत पुस्तक को पूणर्तः उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी.कॉम. व्दितीय वर्ष (तृतीय सेमेस्टर) हेतु शैक्षणिक सत्र 2022-23 प्रभावी नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार किया गया है |
प्रस्तुत संशोधित संस्करण में विषय सामग्री को सीमित करते हुए ‘गागर में सागर’ भरने का प्रयास किया गया है| भाषा को अधिक सरल व रोचक बनाने की भी कोशिश की गई है |
संशोधित संस्करण की कतिपय महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार है :
- पुस्तक के अन्त में बहुविकल्पीय तथा सत्य/असत्य पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्नो (उत्तर सहित) का समावेश किया गया है |
- सभी अधिनियमों नवीनतम संशोधनों को यथास्थान सम्मिलित किया गया है |
- विषय अधिक प्रभावशाली व् समझने योग्य बनाने के लिए पुस्तक में उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का भी समावेश किया गया है |
व्यावसायिक नियमन रूपरेखा (Business Regulatory Framework) Syllabus For B.Com IIIrd Semester of Various Universities and Colleges of Uttar Pradesh
Course outcomes : The objective of this course is to provide a brief idea about the framework of Indian Contract Act, 1872 and Sale of Goods Act, 1930.
- Unit I : Indian Contract Act, 1872 : Definition and Nature of Contract, Classification; Offer and Acceptance; Capacity of Parties; Free Consent; Consideration; Legality of Objects.
- Unit II : Void Agreements; Performance of Contracts; Discharge of Contract; Contingent Contracts; Quasi Constracts; Remedies for Breach of Contract, Special Contracts : Indemnity and Guarantee; Bailment and Pledge; Contract of Agency.
- Unit III : Sale of Goods Act, 1930 : Contract of Sale of Goods, Conditions and Warranties; Transfer of Ownership; Performance of the Contract : Remedial Measures; Auction able Claims.
- Unit IV : Negotiable Instrument Act : Cheque, Promissory Note, Bill of Exchange, Crossing of Cheque, Dishonour of Cheque, Payment in due Course.
Business Regulatory Framework Contents
- भारतीय अनुबन्ध अधिनियम, 1872
- वैध अनुबन्ध के आवश्यक लक्षण
- ठहराव
- प्रस्ताव तथा स्वीकृति
- प्रतिफल
- अनुबन्ध करने के योग्य पक्षकार
- पक्षकारों की स्वतन्त्र सहमति
- स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित ठहराव
- सांयोगिक अनुबन्ध
- अनुबन्धों समाप्ति
- गर्भित अथवा अर्ध्द-अनुबन्ध
- अनुबन्ध-भंग के परिणाम
- क्षतिपूर्ति तथा गारंटी के अनुबन्ध
- निक्षेप सम्बन्धी अनुबन्ध
- गिरवी के अनुबन्ध
- एजेन्सी अथवा अभिकरण के अनुबन्ध
- वास्तु-विक्रय अधिनियम, 1930
- विनिमयसाध्य लेखपत्र अधिनियम, 1881
बहुविकल्पीय तथा सत्य/असत्य पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न (उत्तर सहित)
Reviews
There are no reviews yet.