प्रस्तुत पुस्तक उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी. कॉम. सेमेस्टर द्वितीय हेतु शैक्षिक सत्र 2021-22 से प्रभावी नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है |
भारत में भी प्रबन्ध विषय का दिनोंदिन बढ़ रहा है | 1990 के बाद तो भारत में अपनाई जा रही आर्थिक उदारीकरण तथा भूमण्डलीकरण की नीतियों ने दक्ष व् प्रशिक्षित प्रबन्ध की आवश्यकता कई गनी बढ़ा दी है | विदेशी कम्पनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा तथा बाजारों के अन्तरार्ष्ट्रीयकरण ने भारतीय कम्पनियों के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है | ऐसी दशा में या तो इन कम्पनियों को पेशेवर प्रबन्ध पर जोर देना होगा अन्यथा इन कम्पनियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा | यह बात अब भारत की बड़ी, मध्यम तथा लघ आकार वाली सभी कम्पनियों/व्यवसायों पर लागू होती है | प्रबन्ध के इस महत्त्व को स्वीकार कर अब ‘प्रबन्ध विषय’ स्नातक स्तर पर लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संम्मिलित कर लिया गया है |
इस पुस्तक की निम्न विशेषताएं है :
- पुस्तक की भाषा को छात्रों के स्तर का ध्यान रखते हुए सरल, रूचिकर तथा बोधगम्य बोधगम्य गया है |
- प्रबन्ध के ऐसे सिद्धान्तों तथा अवधारणाओं को जो छात्रों की दृष्टि से समझने में कठिन है, भारतीय परिवेश तथा कम्पनियों के उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है |
- प्रबन्ध के कुछेक सिद्धान्तों को आवश्यकतानुसार तालिकाओं तथा चित्रों की सहायता से बोधगम्य बनाया गया है |
- पुस्तक में प्रत्येक अध्याय के अन्त में दीर्घ उत्तरीय तथा वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिये गये है जो सामान्यतया परीक्षा में पूछे जाते है | छात्र को अध्याय पढ़ लेने के बाद इन प्रश्नों के उत्तर खोजने में कोई कठिनाई नहीं होगी |
- प्रबन्ध विषय में हिंदी शब्दावली में कुछ स्थानों पर एकरूपता नहीं पायी जाती, अत: इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए पुस्तक के सभी अध्यायों, शीर्षकों तथा उपशीर्षकों तथा कहीं-कहीं व्याख्या में भी अंग्रजी शब्दावली कोष्ठक में दे दी गयी है |
व्यवसाय प्रबन्ध (Business Management) Syllabus For B.Com. IInd Semester of Various Universities and Colleges of Uttar Pradesh.
Unit I : Discuss the Management Practices in Indian ‘Vedas’. Introduction : Concept, Characteristics, Nature, Process and Significance of Management; Managerial Roles (Mintzberg); An overview of functional areas of Management; Development of
Management Thought; Classical and Neo Classical System; Contingency Approach, System Approach.
Unit II : Planning : Concept, Characteristics, Process, Importance and Types, Criteria of effective planning. Decision-Making : Concept, Process, Types and Importance. Management by Objectives. Organisation : Concept, Nature, Process and Significance. Authority and Responsibility Relationships. Centralization and Decentralization. Departmentation. Organizational Structure-Forms.
Unit III : Direction : Concept and Techniques, Co-ordination as an Essence of Management, Communication : Nature, Process, Importance, Types, Networks and Barriers. Effective Communication. Management of Change : Concept, Nature, Types of Changes and Process of Planned Change, Resistance to Change and methods of reducing resistance to
change
Unit IV : Controlling : Meaning, Importance and Process, Effective Control System. Techniques of Control Motivation : Concept, Types, Importance, Theories-Maslow, Herzberg, Mcgregor, Ouchi, Financial and NonFinancial Incentives. Leadership : Meaning, Concept, Functions and Leadership styles, Likert’s Four System of Leadership
विषय-सूची
- भारतीय ‘वेदों’ में प्रबन्धन प्रथाएं
- प्रबन्ध : अवधारणा एवं प्रक्रिया
- प्रबन्ध की प्रकृति, क्षेत्र, महत्त्व, प्रबन्धकीय भूमिकाएं (हेनरी मिंजबर्ग)
- प्रबन्ध के कार्यात्मक क्षेत्र
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-I (चिर-प्रतिष्ठित प्रणाली)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-II (नव प्रतिष्ठित, प्रणाली व संयोगिकी दृष्टिकोण)
- नियोजन (अवधारणा, विशेषताएं, प्रक्रिया, महत्त्व एवं प्रकार)
- निर्णयन (अवधारणा, प्रक्रिया, प्रकार एवं महत्त्व)
- उद्देश्य निहित प्रबन्ध
- संगठन (अवधारणा, प्रकृति, प्रक्रिया व महत्त्व)
- अधिकार एवं उत्तरदायित्व सम्बन्ध
- केन्द्रीकरण व् विकेन्द्रीकरण
- विभागीकरण
- संगठनात्मक संरचना : प्रारूप
- निदेशन (संचालन)
- प्रबन्धन के सार के रूप में समन्वय
- सम्प्रेषण (सन्देशवाहन)
- प्रभावी सम्प्रेषण
- परिवर्तन-प्रबन्ध : अवधारणा, प्रकृति एवं प्रक्रिया
- भारती एवं चयन प्रक्रिया
- नियन्त्रण : प्रकृति, प्रक्रिया एवं तकनीकें
- अभिप्रेरणा (अवधारणा, उदेश्य, सिद्धान्त एवं प्रेरक)
- नेतृत्व
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