निगमीय अधिनियम Corporate Laws पुस्तक का यह संस्करण विनोबा भावे विश्वविद्यालय के बी. काॅम. (ऑनर्स) (द्वितीय सेमेस्टर) के नए पाठ्यक्रमानुसार तैयार किया गया है। पुस्तक में पाठ्यक्रम के सभी शीर्षकों का समावेश किया गया है।
- प्रस्तुत संस्करण में कम्पनी अधिनियम, 2013 व 25 मई, 2015 से प्रभावी कम्पनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 से सम्बन्धित सभी प्रावधानों तथा कम्पनी नियमों, 2014 एवं उपनियमों का समावेश यथास्थान किया गया है।
- ‘कम्पनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा कम्पनी अधिनियम, 2013 में सोलह संशोधन किए गए हैं तथा कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत बनाए गए नियमों में चैबीस संशोधन किए गए हैं। इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य भारत में व्यापार संचालक को सुगम बनाना व कुछ कठोर प्रावधानों को आसान बनाना है।
निगमीय अधिनियम Corporate Laws Book विषय-सूची
- कम्पनी: परिभाषा, विशेषताएं एवं प्रकार
- कम्पनी का गठन (प्रवर्तन, निगमन और व्यवसाय का प्रारम्भ)
- पार्षद सीमानियम
- पार्षद अन्तर्नियम
- प्रविवरण
- अंश
- कम्पनी की अंश पूंजी
- ऋणपत्र
- कम्पनियों द्वारा जमा राशियां (निक्षेप) स्वीकार करना
- कम्पनी के ऋण लेने के अधिकार
- कम्पनी का प्रबन्ध: संचालक मण्डल
- लाभांश
- कम्पनी की सदस्यता
- बहुमत की शक्ति और अल्पसंख्यक अंशधारकों के अधिकार
- दमन और कुप्रबन्ध पर रोक
- प्रबन्ध संचालक या पूर्णकालिक संचालक, प्रबन्धक एवं कम्पनी सचिव
- समझौते, व्यवस्थाएं व समामेलन
- कम्पनी की बैठकें (सभाएं)
- कम्पनी का समापन
- निगमीय शासन
- कम्पनियों के लेखे व अंकेक्षण
- अभौतिकरण एवं डिपाॅजिटरी अधिनियम
- राष्ट्रीय कम्पनी लाॅ अधिकरण, राष्ट्रीय कम्पनी लाॅ अपीलीय अधिकरण, विशेष न्यायालय व कम्पनियों के सामाजिक दायित्व
- सचिवीय मानक व सचिवीय अंकेक्षण
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