प्रस्तुत अर्थशास्त्र Economics पुस्तक छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानुपर के बी. ए. द्वितीय वर्ष अर्थशास्त्र के (प्रथम एवं द्वितीय) प्रश्न-पत्र हेतु नए पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है।
- समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन विषय का तीव्र गति से विकास हो रहा है और विषय में नवीन प्रवृत्तियां प्रवेश कर रही हैं, जिनका सामान्य परिचय अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों को भी प्राप्त होना चाहिए। इस बात को दृष्टि में रखते हुए सभी अध्यायों में नवीन प्रवृत्तियों की यथास्थान स्पष्टता और आवश्यक विस्तार के साथ विवेचना की गई है। विषय की विवेचना में नवीनतम स्थिति तथा घटना चक्र के उदाहरण देकर विषय को रोचक बनाने का प्रयास किया गया है।
- पुस्तक में रेखाचित्रों की सहायता से विषय को इस प्रकार समझाया गया है कि विद्यार्थियों को समष्टि अर्थशास्त्र जैसे क्लिष्ट विषय में रुचि पैदा हो।
- राजस्व एवं मुद्रा, बैंकिंग एवं राजस्व को तैयार करते समय विभिन्न अध्यायों में नवीनतम सामग्री का समावेश किया गया है।
- नवीन परीक्षा प्रणाली को दृष्टिगत रखते हुए पुस्तक में दीर्घ उत्तरीय एवं लघु उत्तरीय प्रश्नों को सम्मिलित किया गया है।
अर्थशास्त्र Economics Syllabus For B.A. II Year of Chhatrapati Shahuji Maharaj University, Kanpur
Paper I : Macro Economics
UNIT–I : Macro Economics : National Income Analysis – Meaning, Subject matter and limitation of Macro Economics, Macro-Economic paradoxes; Role of Govt. in Macro Economy, Macro Statics; Comparative statics and dynamics. Meaning of National Income accounts; Some basic Concepts – Domestic territory of a country, Normal Resident of a country; Stocks and flows; National capital, wealth and income; National Income and related aggregates, GDP, GNP, NDP, NNP (Both at market price and factor cost); Private income; Personal income; Disposable income; Capital formation. Distinction between goods and services, Producers’ goods and Consumer goods, Intermediate goods and Final goods.
UNIT–II : Generation of Income and Measurement of National Income – Generation of Income and production process, Sources of income – Domestic factor of income; Compensation of employees; Operating surplus; Mixed income of self employed; Net factor income from abroad, Methods of measurement of National Income – Value added method, Expenditure, method, Components of final expenditure Method; Limitations of GDP Concept – Green accounting; Parallel Economy.
UNIT–III: Determination of Income and Employment – The classical theory of employment, the labor market; the product market, the capital market; Concept of wage – Price flexibility; Keynes. Criticism of the classical Model. The Keynesian Model – Aggregate expenditure and equilibrium output; Concept of effective demand; Theories of macro consumption function; Investment function; Saving and investment equilibrium – Ex-Post and Ex-ante. Liquidity trap, role, and importance of investment multiplier. Elementary ideas of IS & LM curves.
UNIT–IV: Trade Cycles – Nature and characteristics; Hawtray’s monetary theory; Hayek’s over-investment theory; Keynes’ views on trade cycles; the concept of the accelerator; Super Multiplier, Multiplier – accelerator theories of trade cycles; Control of trade cycles.
Paper-II: Money, Banking and Public Finance
UNIT–I: Value of Money – Fisher and Cambridge Approach, Income Expenditure Approach. Prices: Inflation, Deflation, Monetary Approach, Keynesian Approach, Non-Monetary theories of inflation, Effects of Deflation, Inflation – A brief discussion of the relationship between inflation and unemployment (Philips Curve) Okun’s law and Concept of stagflation.
UNIT–II: Theory of Commercial Banking – Theory of Credit Creation, Credit Multiplier, Theory of Central Banking, Techniques of Credit Control, Monetary Policy, Objectives of Monetary Policy in a developing economy. The Reserve Bank of India, its role and policies relating to the development of the Indian Economy.
UNIT-III: Public Finance and Public Expenditure – Meaning and scope of Public Finance – Distinction between Private and Public finance, Public goods Vs. Private goods, Principle of Maximum Social Advantage. Finance, Externalities and market Failures, Views of Prof. Musgrave and Mrs. Ursala Hicks, Tests of Maximum Social Advantage. Meaning, Scope and justification of Public Expenditures, Canons and Effects of Public Expenditure on Production, Employment, and Distribution. Causes of increase in Public Expenditure, Pea-cock and Wiseman Hypothesis, Public Expenditure in India.
UNIT–IV: Taxation – Sources of Public Revenue, Taxation – Meaning, Canons and classification of taxes, The benefit and ability approaches, Characteristics of a good tax system, Impact and incidence of taxes, Taxable capacity, Effects of Taxation, Division of tax resources between Central and State Govt., Public Debt : Methods of redemption and effects of Public debt. Fiscal Policy—meaning, objectives and its significance in developing economies. Budget – Its meaning, importance and preparation.
अर्थशास्त्र Economics Book विषय-सूची
प्रथम प्रश्न-पत्र : समष्टि अर्थशास्त्र
- समष्टि अर्थशास्त्र
- राष्ट्रीय आय
- राष्ट्रीय आय की गणना अथवा माप तथा हरित लेखांकन
- समानान्तर अर्थव्यवस्था
- रोजगार का प्रतिष्ठित (क्लासिकल) सिद्धान्त
- कीन्स का रोजगार सिद्धान्त
- उपभोग फलन एवं समष्टि उपभोग फलन के सिद्धान्त
- विनियोग फलन
- बचत एवं विनियोग संतुलन
- निवेश (या विनियोग) गुणक
- IS-LM वक्र माॅडल तथा तरलता जाल की अवधारणा
- त्वरक की अवधारणा तथा महागुणक
- व्यापार चक्र
द्वितीय प्रश्न-पत्र : राजस्व एवं मुद्रा, बैंकिंग
राजस्व
- लोक-वित्त (राजस्व): अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्त्व तथा लोक-वित्त एवं निजी वित्त में अंतर
- सार्वजनिक वस्तुएं बनाम निजी वस्तुएं
- अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धान्त
- लोक व्यय
- लोक व्ययों में वृद्धि: घटक, वैगनर का नियम तथा पीकाॅक-वाइजमैन परिकल्पना
- उत्पादन, वितरण एवं आर्थिक स्थायित्व पर लोक व्यय के प्रभाव
- लोक आगम
- करारोपण के सिद्धान्त
- कर: प्रकार अथवा वर्गीकरण
- करों में न्याय की समस्या
- अच्छी कर प्रणाली की विशेषताएं और भारतीय कर संरचना
- कराघात (कर का दबाव), करापात (कर-भार) और कर विवर्तन
- करदान क्षमता
- करारोपण के प्रभाव
- लोक ऋण
- लोक ऋण के शोधन (भुगतान) की रीतियां
- लोक ऋण का भार और प्रभाव
- लोक ऋण का प्रबन्ध
- राजकोषीय नीति एवं आर्थिक विकास
- बजट : अवधारणा एवं प्रकार
- भारतीय संघीय वित्त : केंद्र एवं राज्य सरकारों के मध्य कर संशाधनों के विभाजन सहित
- केन्द्रीय सरकार की आय के साधन
- राज्य सरकारों के आय एवं व्यय
मुद्रा एवं बैंकिंग
- मुद्रा का मूल्य: मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त
- मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन
- व्यापारिक बैंकिंग
- साख निर्माण (अथवा सृजन) एवं साख गुणक
- केन्द्रीय बैंक एवं साख नियंत्रण की विधियां
- मौद्रिक नीति
- रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया
Saurabh kushwaha –
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