Economics अर्थशास्त्र पुस्तक बी. ए. द्वितीय वर्ष अर्थशास्त्र के (प्रथम एवं द्वितीय) प्रश्न-पत्र हेतु Chaudhary Charan Singh University Meerut, Dr. Bhimrao Ambedkar University Agra, Dr. Rammanohar Lohia Avadh University Faizabad, Jananayak Chandrashekhar University Ballia, Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith Varanasi, Mahatma Jyotiba Phule Rohilkhand University Bareilly, Veer Bahadur Singh Purvanchal University Jaunpur के नए पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है।
- राष्ट्रीय आय विश्लेषण, मुद्रा एवं बैंकिंग (National Income Analysis, Money and Banking) के अध्ययन विषय का तीव्र गति से विकास हो रहा है और विषय में नवीन प्रवृत्तिां प्रवेश कर रही हैं, जिनका सामान्य परिचय अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों को भी प्राप्त होना चाहिए। इस बात को दृष्टि में रखते हुए सभी अध्यायों में नवीन प्रवृत्तियों की यथास्थान स्पष्टता और आवश्यक विस्तार के साथ विवेचना की गई है। विषय की विवेचना में नवीनतम स्थिति तथा घटना चक्र के उदाहरण देकर विषय को रोचक बनाने का प्रयास किया गया है।
- पुस्तक में रेखाचित्रों की सहायता से विषय को इस प्रकार समझाया गया है कि विद्यार्थियों को समष्टि अर्थशास्त्र जैसे क्लिष्ट विषय में रुचि पैदा हो।
- राजस्व एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को तैयार करते समय विभिन्न अध्यायों में नवीनतम सामग्री का समावेश किया गया है।
- नवीन परीक्षा प्रणाली को दृष्टिगत रखते हुए पुस्तक में दीर्घ उत्तरीय एवं लघु उत्तरीय प्रश्नों को सम्मिलित किया गया है।
अर्थशास्त्र Economics Book विषय-सूची
प्रथम प्रश्न-पत्र: राष्ट्रीय आय विश्लेषण, मुद्रा एवं बैंकिंग (National Income Analysis, Money & Banking)
- राष्ट्रीय आय (अवधारणा एवं गणना की विधियां)
- उत्पादन एवं आय का चक्रीय प्रवाह
- राष्ट्रीय आय लेखांकन में सरकारी एवं विदेशी क्षेत्र
- राष्ट्रीय आय निर्धारण का प्रतिष्ठित सिद्धान्त
- राष्ट्रीय आय निर्धारण का केन्सीय सिद्धान्त
- व्यापार चक्र के सिद्धान्त
- मुद्रा का मूल्य: मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त
- कीन्स का मुद्रा परिमाण का सिद्धान्त
- मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन (मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन (विस्फीति)
- मुद्रा-स्फीति के सिद्धान्त
- फिलिप्स वक्र, संशोधित फिलिप्स वक्र तथा ओकुन का नियम
- निस्पंद (अथवा गतिहीन) स्फीति
- बैंकिंग: अर्थ, प्रकार, कार्य एवं महत्व
- बैंकिंग: संरचना, प्रबंधन, सम्पत्तियां एवं दायित्व
- मुद्रा (या साख) का सृजन
- व्यापारिक बैंकिंग: सिद्धान्त एवं व्यवहार
- केन्द्रीय बैंकिंग: कार्य एवं मौद्रिक नियंत्रण
- भारतीय मुद्रा बाजार: संरचना एवं अवधारणा
- मुद्रा पूर्ति की अवधारणा एवं उसमें परिवर्तन के स्रोत
- भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य (परम्परागत एवं विकासात्मक)
- भारतीय रिजर्व बैंक एवं मौद्रिक नियन्त्रण
- विदेशी विनिमय: अवधारणा, प्रकार एवं विनिमय दर निर्धारण
- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष
- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (विश्व बैंक)
- विनिमय नियन्त्रण (उद्देश्य एवं विधियां)
द्वितीय प्रश्न-पत्र: राजस्व एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (Public Finance & International Trade)
राजस्व (Public Finance)
- लोक-वित्त(राजस्व): अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्व तथा लोकवित्त एवं निजी वित्त में अंतर
- सार्वजनिक वस्तुएं बनाम निजी वस्तुएं
- अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धान्त
- लोक व्यय
- लोक व्ययों में वृद्धि: घटक, वैगनर का नियम तथा पीकाॅक-वाइजमैन परिकल्पना
- उत्पादन, वितरण एवं आर्थिक स्थायित्व पर लोक व्यय के प्रभाव
- लोक आगम
- करारोपण या कर आगम: आशय, उद्देश्य एवं सिद्धान्त
- कर: प्रकार अथवा वर्गीकरण
- कर भार का वितरण या करारोपण में न्याय की समस्या
- अच्छी कर प्रणाली की विशेषताएं और भारतीय कर संरचना
- कराघात (कर का दबाव), करापात (कर-भार) और कर विवर्तन
- करदान क्षमता
- करारोपण के प्रभाव
- लोक ऋण
- लोक ऋण के शोधन (भुगतान) की रीतियां
- लोक ऋण का भार और प्रभाव
- लोक ऋण का प्रबन्ध
- राजकोषीय नीति एवं आर्थिक विकास
- बजट: अवधारणा तथा प्रकार
- भारतीय संघीय वित : केंद्र तथा राज्य सरकारों के मध्य कर संसाधनों के विभाजन सहित
- केन्द्रीय सरकार के आय के साधन
- राज्य सरकारों के आय के साधन
- हीनार्थ प्रबंधन तथा बजटीय घाटा
- वित्त आयोग
- भारतीय राजकोषीय नीति
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade)
- तुलनात्मक लागत सिद्धान्त
- प्रतिष्ठित तुलनात्मक लागत सिद्धान्त में संशोधन
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अवसर लागत का सिद्धान्त
- पारस्परिक मांग विश्लेषण
- व्यापार की शर्तें
- स्वतन्त्र व्यापार एवं संरक्षण
- प्रशुल्क अथवा तटकर
- गैर-प्रशुल्क बाधाएं
- व्यापार शेष एवं भुगतान-शेष
- भारत का विदेशी व्यापार
- व्यापार नीति
DEEPANSHU CHAHAL –
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