प्रबन्ध के सिद्धान्त Essentials of Management Book लखनऊ विश्वविद्यालय के बी. कॉम. सेमेस्टर-I के नवीन पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार की गई है।
भारत में भी प्रबन्ध विषय का महत्व दिनोंदिन बढ़ रहा है। सन् 1990 के बाद तो भारत में अपनाई जा रही आर्थिक उदारीकरण तथा भूमण्डलीकरण की नीतियों ने दक्ष व प्रशिक्षित प्रबन्ध की आवश्यकता कई गुनी बढ़ा दी है। विदेशी कम्पनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा तथा बाजारों के अन्तर्राष्ट्रीयकरण ने भारतीय कम्पनियों के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। ऐसी दशा में या तो इन कम्पनियों को पेशेवर प्रबन्ध पर जोर देना होगा अन्यथा इन कम्पनियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। यह बात अब भारत की बड़ी, मध्यम तथा लघु आकार वाली सभी कम्पनियों/व्यवसायों पर लागू होती है। प्रबन्ध के इस महत्व को स्वीकार कर अब ‘प्रबन्ध विषय’ स्नातक स्तर पर लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कर लिया गया है।
इस पुस्तक की निम्न विशेषताएं हैं:
- पुस्तक की भाषा को छात्रों के स्तर का ध्यान रखते हुए सरल, रुचिकर तथा बोधगम्य बनाया गया है।
- प्रबन्ध के ऐसे सिद्धान्तों तथा अवधारणाओं को जो छात्रों की दृष्टि से समझने में कठिन हैं, भारतीय परिवेश तथा कम्पनियों के उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
- प्रबन्ध के कुछेक सिद्धान्तों को आवश्यकतानुसार तालिकाओं तथा चित्रों की सहायता से बोधगम्य बनाया गया है।
- पुस्तक में प्रत्येक अध्याय के अन्त में दीर्घ उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिये गये हैं, जो सामान्यतया परीक्षा में पूछे जाते हैं। छात्र को अध्याय पढ़ लेने के बाद इन प्रश्नों के उत्तर खोजने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
- लगभग प्रत्येक अध्याय में वस्तुनिष्ठ प्रश्न तीन प्रकार के दिए गए हैं साथ ही उनके उत्तर भी अंकित किए गए हैं। ये वस्तुनिष्ठ प्रश्न न केवल बी. कॉम. की परीक्षा के लिए ही उपयोगी हैं, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होंगे।
- प्रबन्ध विषय में हिन्दी शब्दावली में कुछ स्थानों पर एकरूपता नहीं पायी जाती अतः इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए पुस्तक के सभी अध्यायों, शीर्षकों तथा उपशीर्षकों तथा कहीं-कहीं व्याख्या में भी अंग्रेजी शब्दावली कोष्ठक में दे दी गयी है।
प्रबन्ध के सिद्धान्त Essentials of Management Syllabus For B.Com Semester I of Lucknow University, Lucknow
Unit-I Introduction, Nature of Management. Evolution of Management Thought – various theories and approaches, Contribution of Peter Drucker to Value creation, Management Process.
Unit-II Planning: Objectives, Policy, and Strategy. Forecasting, Decision Making, Organizing: Organization Theory, Design of organization structure, Authority and Responsibility, Line and Staff Relationships, Departmentation, Delegation Centralization, and Decentralization.
Unit-III Staffing: Fundamentals of staffing. Recruitment and Selection. Training and Development, Performance Appraisal. Directing, Fundamentals of Directing, Fundamentals of motivation. Leadership.
Unit-IV Co-ordination, Controlling : Nature and Scope of Control. Types of Control. Control Process, Management by Exception (MBE), Effective Control System, Control Techniques-Traditional and Modern.
प्रबन्ध के सिद्धान्त Essentials of Management Book विषय-सूची
- प्रबन्ध : अवधारणा एवं प्रक्रिया
- प्रबन्ध की प्रकृति, क्षेत्र, महत्व
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-I (चिर-प्रतिष्ठित दृष्टिकोण)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-II (नव प्रतिष्ठित, प्रणाली व संयोगिकी दृष्टिकोण)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-III (आधुनिक विचारकृसेंजे, पोर्टर तथा प्रहलाद)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-IV (मूल्य-सृजन में पीटर एफ. ड्रकर का योगदान)
- नियोजन (अवधारणा, उद्देश्य, प्रकार एवं प्रक्रिया)
- रणनीतिक नियोजन
- पूर्वानुमान
- निर्णयन (अवधारणा प्रक्रिया तकनीकें तथा परिबद्ध तर्कशक्ति)
- उद्देश्य निहित प्रबन्ध
- संगठन (अवधारणा, प्रकृति, प्रक्रिया व महत्व)
- संगठन सिद्धान्त
- संगठन संरचना का डिजाइन
- नियन्त्रण का विस्तार
- अधिकार, उत्तरदायित्व तथा अधिकार-अंतरण (भारार्पण)
- विभागीकरण
- केन्द्रीकरण व विकेन्द्रीकरण
- स्टाफिंग (नियुक्तियां) : प्रकृति, कार्य एवं महत्व
- मानव संसाधन नियोजन, भरती एवं चयन
- प्रशिक्षण एवं विकास
- निष्पादन मूल्यांकन
- निदेशन (संचालन)
- अभिप्रेरणा (अवधारणा, उद्देश्य, सिद्धान्त एवं प्रेरक)
- नेतृत्व
- समन्वय
- नियन्त्रण : प्रकृति, प्रक्रिया एवं तकनीकें
- अपवाद निहित प्रबन्ध
- परिवर्तन-प्रबन्ध : अवधारणा, प्रकृति एवं प्रक्रिया
- प्रबन्ध के उभरते हुए क्षितिज
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