लेखक की पुस्तक ‘राजनीति विज्ञान के मूल आधार’ गत 30 वर्षों से विभिन्न विश्वविद्यालयों के राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा पढ़ी जाती रही है।
पुस्तक का यह संस्करण राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा बी. ए. प्रथम वर्ष के लिए नवीन संशोधित पाठ्यक्रम को पूर्णतया दृष्टि में रखते हुए तैयार किया गया है तथा इस संस्करण में एक नया अध्याय नारीवाद सम्मिलित किया गया है। इस बात की पूरी चेष्टा की गई है कि पुस्तक विद्यार्थियों के लिए श्रेष्ठतम पुस्तक की स्थिति प्राप्त कर सके।
राजनीति विज्ञान के अध्ययन विषय का तीव्र गति से विकास हो रहा है और विषय में नवीन प्रवृत्तियां प्रवेश कर रही हैं, जिनका सामान्य परिचय राजनीति विज्ञान के प्रारम्भिक विद्यार्थियों को भी प्राप्त होना चाहिए। इस बात को दृष्टि में रखते हुए सभी अध्यायों में नवीन प्रवृत्तियों की यथास्थान स्पष्टता और आवश्यक विस्तार के साथ विवेचना की गई है। शासन के प्रकार, राजनीतिक दल, दबाव समूह और अन्य कुछ विषयों की विवेचना में देश-विदेश की नवीनतम् घटनाओं के उदाहरण देकर विषय को रोचक बनाने का प्रयास किया गया है। राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रश्न-पत्र के ढांचे को दृष्टि में रखते हुए अध्यायवार बहु-विकल्पीय एवं सीमित शब्द संख्या में उत्तर वाले प्रश्न उत्तर सहित दे दिए गए हैं।
राजनीति विज्ञान के मूल आधार Foundation of Political Science Book विषय-सूची
- राजनीति विज्ञान: परिभाषा, क्षेत्र और प्रकृति (परम्परागत दृष्टिकोण)
- राजनीति विज्ञान: परिभाषा, क्षेत्र और प्रकृति (सम-सामयिक दृष्टिकोण)
- व्यवहारवाद
- उत्तर-व्यवहारवाद
- अन्तर-अनुशासनात्मक उपागम और राजनीति विज्ञान का अन्य समाज विज्ञानों में सम्बन्ध
- सम्प्रभुता : अव्दैतवाद और बहुलवाद
- शक्ति की धारणा
- सत्ता (प्राधिकार) और वैधता या औचित्यपूर्णता
- राजनीतिक व्यवस्था
- राजनीतिक आधुनिकीकरण
- राजनीतिक विकास
- लोकतन्त्र और अधिनायकतन्त्र
- राजनीतिक दल
- दबाव समूह
- प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
- विधि का शासन और संविधानवाद
- सरकार के अंग: व्यवस्थापिका (संगठन, कार्य और आधुनिक प्रवृत्तियां)
- कार्यपालिका: संगठन, कार्य और आधुनिक प्रवृत्तियां
- न्यायपालिका: कार्य और आधुनिक प्रवृत्तियां
- राजनीतिक विचारधारा: अर्थ व क्षेत्र
- उदारवाद
- आदर्शवाद या प्रत्ययवाद
- माक्र्सवाद
- प्रजातान्त्रिक समाजवाद
- अराजकतावाद
- नारीवाद
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