प्रस्तुत झारखण्ड का इतिहास संस्कृति (प्रारम्भ से 1947 तक) [History and Culture of Jharkhand Up to 1947] पुस्तक कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के बी. ए. ऑनर्स सेमेस्टर V के हेतु नवीन पाठ्यक्रमनुसार तैयार की गई है।
झारखण्ड का इतिहास संस्कृति (प्रारम्भ से 1947 तक) [History and Culture of Jharkhand Up to 1947] पुस्तक में इस बात का हर सम्भव प्रयास किया गया है कि विद्यार्थियों को नए पाठ्यक्रम के सभी शीर्षकों पर स्तरीय विस्तृत पाठ्य-सामग्री उपलब्ध हो सके।
इतिहास का अध्ययन करना सम्पूर्ण मानव समाज की उन्नति के लिए आवश्यक है। सम्पूर्ण इतिहास का अल्प पृष्ठों में वर्णन करना अत्यन्त दुरूह कार्य है, अतः प्रस्तुत पुस्तक में झारखण्ड का इतिहास (प्रारम्भ से 1947 तक) का विस्तृत वर्णन किया गया है।
झारखण्ड का इतिहास संस्कृति (प्रारम्भ से 1947 तक) [History and Culture of Jharkhand Up to 1947] Book Syllabus For B.A. (Hons.) Semester V of Kolhan University, Chaibasa
Unit 1: Early History of Jharkhand
(a) Settlement of Tribes in Jharkhand Region
(b) Socio-Political Formations – Parha-Panchayat, Manki-Munda, ParganaitManjhi, Dhumkuria, Gitira, Bitlaha
Unit 2: Jharkhand in the Medieval Period
(a) Nagvanshi Raj, Chero Raj, Singhbhum Chiefs
(b) Turko-Afghans in Jharkhand
(c) Mughals in Jharkhand
Unit 3: Early Colonial Contacts and Tribal Response
(a) British Entry into Jharkhand and its Relations with Native Rajas: Nagvanshi Raj, Chero Raj, and Singhbhum Chiefdom
(b) Colonial Policies and its Impact: Agriculture, Land, Forest, and Railways
(c) Tribal Revolts and Movements in Jharkhand: Kol Revolt, Santhal Hul, Birsa Ulgulan, Tana Bhagat Movement.
Unit 4: Adivasi Culture of Jharkhand
(a) Festivals, Religion, Music and Dance
(b) Art and Architecture : Language and Literature
झारखण्ड का इतिहास संस्कृति (प्रारम्भ से 1947 तक) [History and Culture of Jharkhand Up to 1947] पुस्तक विषय-सूची
- झारखण्ड क्षेत्र में आदिवासियों की बसावट
- जनजातीय राजनीतिक संगठन: पड़हा पंचायत, मानकी-मुण्डा, परगनैत-मांझी
- जनजातीय सामाजिक संगठन: धुमकुड़िया, गितिओरा, बिठलाह
- तुर्क-अफगान काल
- मुग़ल कल
- झारखण्ड में ब्रिटिश प्रवेश
- नागवंशी राज और अंग्रेज़
- चेरो राज और अंग्रेज़
- सिंहभूम के राजा और अंग्रेज
- औपनिवेशिक राजनीति और उसके प्रभाव: कृषि, भूमि, वन और रेलवे
- जनजातीय विद्रोह (प्रारम्भ से 1854 तक)
- संथाल हूल
- बिरसा उलगुलान
- ताना भगत आंदोलन
- जनजातीय पर्व एवं त्योहार
- जनजातीय नृत्य, गीत एवं संगीत
- जनजातीय धर्म और विश्वास
- झारखण्ड के धार्मिक स्थापत्य
- झारखण्ड के लौकिक स्थापत्य: गढ़, किले और राजप्रासाद
- लोककला परिदृश्य: चित्रकला और मूर्तिकला
- भाषा और साहित्य
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