Silent Features: प्रस्तुत पुस्तक बी. ए. तथा बी. ए. (ऑनर्स) राजनीतिशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए लिखी गयी है | पुस्तक में ‘प्राचीन’ और ‘आधुनिक’ भारतीय राजनितिक चिन्तकों के विचारों की संक्षिप्त विवेचना करने का प्रयत्न किया गया है | अनेक पाश्चात्य विव्दानों द्वारा इस धारणा का प्रतिपादन किया गया है की प्राचीन काल में भारतीयों की दृष्टि आध्यात्मवाद पर केन्द्रित थी और भारतीय दर्शन में राजनितिक चिन्तन का अभाव था | मैक्समूलर और डनिंग द्वारा प्रतिपादिन यह विचार एक भ्रान्ति मात्र है | वस्तुस्थिति यह है की भारत में राजनितिक चिंतन की अपनी परम्परा रही है जो पश्चिमी राजदर्शन की तुलना में निष्चित रूप से अधिक प्राचीन, समृद्ध और सुव्यवस्थित है | वस्तुत: भारत में मनु से महात्मा गांधी तक राजनितिक चिन्तन की एक अनवरत परम्परा मिलती है | आधुनिक समय मं भारतीय चिन्तन की मौलिकता विवेकानन्द, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, अरबिन्द घोष तथा मानवेन्द्र नाथ रॉय के विचारों में मुखरित हुई है | आशा है, भारतीय सामाजिक एवं राजनितिक चिन्तन में रूचि रखने वाले अध्येताओं के लिए यह पुस्तक अत्यन उपयोगी सिद्ध होगी |
विषय-सूची
- प्राचीन भारतीय राजनितिक चिन्तन की प्रमुख विशेषताएं
- मनु
- आचार्य विष्णु गुप्त कौटिल्य
- जैन एवं बौद्ध राजनितिक चिन्तन : प्रमुख विशेषताएं
- महाभारत में राजनितिक विचार
- भारतीय पुनर्जागरण
- राजा राममोहन रॉय
- स्वामी दयानन्द सरस्वती
- स्वामी विवेकनन्द
- बाल गंगाधर तिलक
- अरबिन्द घोष
- मानवेन्द्र नाथ रॉय
- जय प्रकाश नारायण
- जवाहरलाल नेहरू
- महात्मा गांधी
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
- भीष्म
- शुक्र
- गोपाल कृष्ण गोखले
- महादेव गोविन्द रानाडे
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