प्रस्तुत अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एवं अन्तर्राष्ट्रीय कानून International Organisations & International Law पुस्तक का संस्करण पूर्णतया परिमार्जित और संशोधित है।
अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एवं अन्तर्राष्ट्रीय कानून अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों की आधारशिला बनता जा रहा है। पिछले दो विश्व-युद्धों ने यह भली-भांति स्पष्ट कर दिया है कि इस समय अन्तर्राष्ट्रीय कानून का पालन तथा नागरिक को प्रभावित करने वाली समस्याएं बन गयी हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एवं अन्तर्राष्ट्रीय कानून पर हिन्दी भाषा में कतिपय पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उन सबके होते हुए हमें नई पुस्तक लिखने की धुन क्यों सवार हुई? यह प्रश्न समाधेय है। अद्यावधि विशेषताः हिन्दी में सृजित पुस्तकों की शैली जटिल तथा विषय-सामग्री दुर्बोध और सस्पष्ट है। कुछ तो एकदेशीय या परिचयात्मक मात्र हैं जिससे उनमें विषय का विशद् विश्लेषणात्मक विवेचन नहीं हो पाया है। वास्तव में, एम. ए.,-एल. बी., सिविल सर्विसेज तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षओं में प्रविष्ट होने वाले अध्येताओं के लिए कतिपय प्रसेगों के विशद् विवेचन के स्थान पर एक ही पुस्तक में प्रायः सहसम्बन्ध प्रसेगों की यथासम्भव अधिकतम जानकारी अभीष्ट होती है। प्रस्तुत पुस्तक का प्रणयन इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए हुआ है।
इसमें अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एवं अन्तर्राष्ट्रीय कानून के लिए अध्येतव्य आवश्यक समस्त सामग्री एक ही स्थान पर सुलभ कर दी गयी है। पुस्तक की प्रमुख विशेषता यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून जैसे विषय को विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने का खेलकों का प्रयत्न रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एवं अन्तर्राष्ट्रीय कानून International Organisations & International Law Book विषय-सूची
अन्तर्राष्ट्रीय कानून (International Law)
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून की प्रकृति और परिभाषा
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून का ऐतिहासिक विकास
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून तथा राष्ट्रीय कानून में सम्बन्ध
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून के स्त्रोत
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून का संहिताकरण
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून प्रति साम्यवादी धारणा
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून और तीसरे विश्व (नवोदिन राष्ट्रों) को परिप्रेक्ष्य
शान्ति के कानून (The Laws of Peace)
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून के विषय: राज्य तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं
- राज्यों की मान्यता
- हस्तक्षेप
- राज्य उत्तराधिकार
- राज्यों का उत्तरदायित्व
- राज्य-क्षेत्राधिकार
- आत्मसंरक्षण का अधिकार
- समुद्री डाका
- राष्ट्रीय आकाश एवं बाह्रा अन्तरिक्ष पर क्षेत्राधिकार
- अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष कानून: विकास की समस्याएं
- अन्तरिक्ष के अन्वेषण और उपयोग में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग: अन्तरिक्ष
- आतंकवाद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून
- विमान अपहरण और अन्तर्राष्ट्रीय कानून
- राज्य का प्रदेश
- समुद्र विधि: संयुक्त राष्ट्र अभिसमय, 1982 के प्रमुख प्रावधान
- प्रदेश प्राप्त करना तथा खोना
- प्रत्यर्पण
- आश्रय: शरण देने का अधिकार
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून और व्यक्ति
- राष्ट्रीयता
- अन्तर्राष्ट्रीय विधि में नरेश अथवा राष्ट्रपति का स्थान
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्क के अभिकर्ता: राजनयिक प्रतिनिधि
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्क के अभिकर्ता: वाणिज्य दूत
- सन्धियां
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान: शान्तिपूर्ण उपाय
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान: बाध्यकारी उपाय
- मानव अधिकार
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग
- उत्तर-दिक्षण संवाद
- नवीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था
- विश्व व्यापार संगठन तथा उत्तर-दक्षिण सम्बन्ध
- पर्यावरणीय मुद्दे और अन्तर्राष्ट्रीय कानून
अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं (International Orgnisations)
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन: अर्थ एवं प्रकृति
- राष्ट्र संघ: प्रकृति, संरचना एवं कार्य
- पंच निर्णय (मध्यस्थता) का स्थायी न्यायालय
- स्थायी अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय
- संयुक्त राष्ट्र संघ: उद्भव, उद्देश्य, सिद्धान्त एवं सदस्यता
- संयुक्त राष्ट्र संघ: महासभा का संगठन एवं भूमिका
- संयुक्त राष्ट्र संघ: सुरक्षा परिषद् का संगठन एवं भूमिका
- संयुक्त राष्ट्र संघ: न्यास परिषद् का संगठन एवं भूमिका
- संयुक्त राष्ट्र का सचिवालय
- संयुक्त राष्ट्र संघ: आर्थिक तथा सामाजिक परिषद्
- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय
- संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण एवं गैर-राजनीतिक कार्य
- संयुक्त राष्ट्र संघ: प्रमुख कार्यक्रम एवं अन्य इकाइयां
- संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व शान्ति
- संयुक्त राष्ट्र संघ: विधिक व्यक्तित्व
- संयुक्त राष्ट्र संघ: विधिक व्यक्तित्व
- क्षेत्रीयतावाद: क्षेत्रीय समझौते एवं संगठन
- सामूहिक सुरक्षा
- निःशस्त्रीकरण: सिद्धान्त और व्यवहार
- शीत-युद्धोत्तर काल में संयुक्त राष्ट्र संघ
- आर्थिक एवं सामाजिक विकास में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका
युद्ध के नियम (Laws of War)
- युद्ध और इसके प्रभाव
- शत्रु चरित्रता या शत्रु प्रकृति
- स्थल युद्ध के नियम
- समुद्री युद्ध के नियम
- हवाई युद्ध के नियम
- अधिग्रहण न्यायालय
- जनवध या जातिवध
- युद्धापराध
- युद्ध की समाप्ति तथा पूर्वावस्था
- तटस्थता की अवधारणा: स्वरूप और उसका विकास
- तटस्थ राज्यों के अधिकार और कर्तव्य
- परिवेष्टन या नाकाबन्दी
- विनिषिद्ध
- युद्धकारी राष्ट्रों के अधिकार: निरीक्षण और तलाशी का अधिकार
- अतटस्थ सेवाएं
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