प्रस्तुत अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति International Politics पुस्तक में ‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति’ के ‘सैद्धान्तिक पक्ष’ के साथ-साथ ‘व्यावहारिक पक्ष’ अर्थात् ‘अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध’, ‘सामयिक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे’ तथा ‘विदेश नीति’ के क्रियान्वयन का भी समावेश किया गया है।
- हाल ही में विभिन्न विश्वविद्यालयों ने यू. जी. सी. द्वारा अनुशंसित मॉडल पाठ्यक्रमों के परिप्रेक्ष्य में स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों हेतु ”अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के सिद्धान्त एवं समकालीन राजनीतिक मुद्दे“ शीर्षक से नया प्रश्न-पत्र प्रारम्भ किया है। प्रस्तुत पुस्तक उक्त पाठ्यक्रम की आवश्यकता को भी पूरा करती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन का एक मुख्य उद्देश्य राष्ट्रों के आपसी व्यवहार की मूल प्रेरणाएं, उनके विशिष्ट आचरण और नीतियों के मूलभूत सिद्धान्त क्या हैं? इन सिद्धान्तों का सम्यक् विवेचन और अध्ययन अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के उचित मूल्यांकन में अत्यधिक सहायक होता है। पाश्चात्य देशों में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के सैद्धान्तिक पक्ष पर प्रचुर साहित्य का सृजन हो रहा है। वैसे ‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति’ से सम्बन्धित अनेक पुस्तकें हिन्दी में प्रकाशित हुई हैं। अद्यावधि विशेषतः हिन्दी में प्रणीत पुस्तकों की शैली जटिल तथा विषय-सामग्री दुर्बोध और अस्पष्ट है। कुछ तो एक देशीय या परिचयात्मक मात्र हैं, जिससे उनमें विषय का विशद विश्लेषणात्मक विवेचन नहीं हो पाया है। वास्तव में, एम. ए. तथा सिविल सर्विस प्रभृति परीक्षाओं में प्रविष्ट होने वाले अध्येयताओं के लिए कतिपय प्रसंगों के विशद विवेचन के स्थान पर एक ही पुस्तक में प्रायः सभी सहसम्बद्ध प्रसंगों की यथासम्भव अधिकतम जानकारी अभीष्ट होती है। प्रस्तुत पुस्तक का प्रणयन इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए हुआ है। पुस्तक में ‘शीतयुद्ध का अन्त’, ‘गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता’, ‘रूस की विदेश नीति’, ‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की उभरती का अन्त’, ‘गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता’, ‘रूस की विदेश नीति’, ‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की उभरती प्रवृत्तियां’, ‘यूरोप में नई आर्थिक और राजनीतिक प्रवृत्तियां’, ‘उत्तर-दक्षिण संवाद’, ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’, ‘अन्तर्राष्ट्रीय एजेण्डे पर पर्यावरणीय मुद्दे’, ‘आतंकवाद’, ‘भूमण्डलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण’, ‘विश्व व्यापार संगठन तथा उत्तर-दक्षिण सम्बन्ध’ एवं ‘नई विश्व व्यवस्था’ जैसे अध्याय अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में आए नए बदलाव को इंगित करते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति International Politics Book विषय-सूची
भाग 1 अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति: सैद्धान्तिक पक्ष (International Politics : Theoretical Aspect)
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन विषय के रूप में विकास : अर्थ, स्वरूप एवं क्षेत्र
- राज्य प्रणाली तथा इसके उप-सिद्धान्त
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन के उपागम: आदर्शवादी, यथार्थवादी एवं नव-यथार्थवादी उपागम
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के सिद्धान्त (मॉर्गेन्थाऊवाद अथवा राजनीतिक यथार्थवाद उपागम)
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन के उपागम: परम्परावादी एवं व्यवहारवादी उपागम
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन के उपागम: उदारवादी, नव-उदारवादी एवं मार्क्सवादी उपागम
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का राजनीतिक व्यवस्था सिद्धान्त
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति की अवधारणा
- शक्ति संघर्ष: शक्ति संचय, शक्ति वृद्धि एवं शक्ति प्रदर्शन
- राष्ट्रीय शक्ति के तत्व एवं सीमाएं: राष्ट्रीय शक्ति का बदलता स्वरूप
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में विचारधारा की भूमिका
- राष्ट्रीय हित की अवधारणा
- विदेश नीति के मौलिक तत्व
- राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन: कूटनीति अथवा राजनय
- राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन: प्रचार
- राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन: राजनीतिक युद्ध
- राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन: साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद
- राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन: आर्थिक साधन
- राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन: युद्ध
- शक्ति सन्तुलन तथा आतंक के सन्तुलन की अवधारणा
- सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा
भाग 2 अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध (International Relations)
- द्वितीय विश्व-युद्ध के कारण तथा युद्धोत्तर शान्ति समझौते
- विश्व-युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय प्रवृत्तियाँ
- शीत-युद्ध की उत्पत्ति तथा विकास
- दितान्त (तनाव-शैथिल्य) एवं इसका विश्व राजनीति पर प्रभाव
- दूसरा शीत-युद्ध: संवाद से टकराव
- शीत-युद्ध का अन्त
- संयुक्त राष्ट्र संघ (संगठन, कार्य प्रणाली एवं भूमिका)
- महाशक्तियां और तृतीय विश्व
- गुटनिरपेक्षता (उद्देश्य, विशेषताएं एवं प्रासंगिकता)
- यूरोप का पुनर्गठन
- एशिया में विउपनिवेशीकरण एवं नए राज्यों का उदय
- अफ्रीका में विउपनिवेशीकरण एवं नए राज्यों का उदय
- संयुक्त राज्य अमरीका की विदेश नीति
- साम्यवादी चीन की विदेश नीति
- भारत की विदेश नीति: रूपरेखा
- भारत एवं उसके पड़ोसी
- भारत की परमाणु नीति: भारत-अमरीका असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौता
- गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका
- भारत-अमरीक सम्बन्ध
- भारत-रूस सम्बन्ध
- भारत-जापान सम्बन्ध
- भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ
- भारत और सार्क
- भारत की पूर्व की ओर देखो नीति
- भारत और यूरोपीय संघ
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी
- फिलिस्तीन समस्या तथा अरब-इजरायल विवाद
- हिन्द महासागर
- नवीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग
- उत्तर-दक्षिण संवाद
- भूमण्डलीकरण (वैश्वीकरण) और विकासशील देशों के हित
- मानव अधिकार
- अन्तर्राष्ट्रीय एजेण्डे पर पर्यावरणीय मुद्दे
- अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद
- विश्व व्यापार संगठन तथा उत्तर-दक्षिण सम्बन्ध
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में नारीवाद एवं लिंग सम्बन्धी मुद्दे
- निःशस्त्रीकरण: समस्याएं और चुनौतियां
- परमाणु अप्रसार: एनपीटी एवं सीटीबीटी
- ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20)
- भारत एवं क्वाड
- ब्रिक्स एवं इब्सा
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में समसामयिक प्रवृत्तियां एवं मुद्दे
चमन मेघवाल –
बहुत सुन्दर लाभदायक किताब
आपका आभारी