आधुनिक विश्व में ‘अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों’ के अध्ययन का महत्व लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन का एक मुख्य उद्देश्य राष्ट्रों के आपसी व्यवहार तथा आचरण के मूल कारणों का ज्ञान कराना है जिससे यह ज्ञात हो सके कि राज्यों के आपसी व्यवहार की मूल प्रेरणाएं, उनके विशिष्ट आचरण और नीतियों के मूलभूत सिद्धान्त क्या हैं?
‘अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों’ का विषय अत्यधिक आधुनिक और रोचक है, परन्तु इसकी सीमा यह है कि इसमें आत्मपरकता की अत्यधिक सम्भावना है। विश्व में विविध प्रकार की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्थाएं हैं, विविध एवं परस्पर विरोधी राष्ट्रीय हित हैं, जो नागरिकों और राजनयिकों के विचारों एवं कार्यों को प्रभावित करते रहते हैं। यद्यपि लेखक पूर्ण निष्पक्षता का दावा नहीं करते फिर भी घटनाओं और विषय के विश्लेषण को वस्तुपरक बनाने का भरसक प्रयास किया गया है। इस विषय की दूसरी सीमा यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय घटनाएं एवं हित दुतगति से परिवर्तित होते रहते हैं। लेखकों ने यह पूर्ण प्रयास किया है कि पुस्तक में अगस्त 2019 तक की स्थिति को सम्मिलित करके पुस्तक को अधुनातन(up-to-date) बनाया जाय। लेखकों ने अपनी ओर से इस बात का भी भरसक प्रयत्न किया है कि पुस्तक की भाषा इतनी सरल और उसका प्रवाह इतना स्वाभाविक हो कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों’ के गूढ़तम पक्ष को समझने में पाठकों को कोई कठिनाई न हो।
पुस्तक के इस 27 वें संशोधित संस्करण की एक अद्वितीय विशेषता यह है कि पुस्तक के अंत में राजस्थान विश्वविद्यालय के वर्ष 2020 की परीक्षा के प्रश्न-पत्र (हल करके) विद्यार्थियों के मार्गदर्शन हेतु प्रस्तुत किए एग हैं।
- विश्व-युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय प्रवृत्तियाँ
- शीत-युद्ध एवं इसके विभिन्न चरण
- संयुक्त राष्ट्र संघ (संगठन, कार्य-प्रणाली एवं भूमिका)
- संयुक्त राज्य अमेरीका एवं तृतीय विश्व
- साम्यवादी खेमे का विघटन
- युरोप का पुनर्गठन
- भारत की विदेश नीति: (निर्धारक तत्व एवं प्रमुख विशेषताएं)
- भारत एवं संयुक्त राष्ट्र संघ
- गुटनिरपेक्ष आन्दोलन: वर्तमान में प्रासंगिकता
- भारत की पूर्व की ओर देखो नीति
- भारत के पड़ोसी देश: भारत-चीन सम्बन्धों के सन्दर्भ में
- भारत-अमेरीका सम्बन्ध
- भारत-रूस सम्बन्ध
- समसामयिक बहुध्रुवीय विश्व में भारत
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सम-सामयिक प्रवृत्तियां एवं मुद्दे
- पश्चिमी एशिया की राजनीति
- नवीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था
- क्षेत्रीय सहयोग के संगठन: आसियान, सार्क, ब्रिक्स एवं इब्सा
- संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी
- मानव अधिकार
- पर्यावरणीय मुद्दे
- लैंगिक न्याय एवं लिंग सम्बन्धी मुद्दे
- वैश्विक आतंकवाद
- परमाणु प्रसार
- वर्ष 2021 के प्रश्न-पत्र (लघुत्तरात्मक प्रश्न हल सहित)
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