प्रबन्ध विज्ञान एवं तकनीकों के विकास के साथ ‘प्रबन्ध’ और ‘लेखाविधि’ एक-दूसरे के निकट आ गए हैं तथा लेखाविधि के विश्लेषण तथा निर्वचन प्रबन्धकीय क्रियाओं के आधार एवं मार्गदर्शक बन गए हैं और लेखाविधि की एक नवीन शाखा ‘प्रबन्धकीय लेखाविधि’ का विकास हुआ है।
प्रबन्धकीय लेखाविधि Management Accounting पुस्तक की विशिष्टताएं निम्न प्रकार हैं:
- विषय-सामग्री को इस विषय के निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार ही व्यवस्थित एवं विन्यासित किया गया है।
- पुस्तक की भाषा-शैली को अत्यन्त सरल रखा गया है तथा शीर्षकों एवं उप-शीर्षकों के अंग्रेजी पर्याय भी दिए गए हैं।
- संख्यात्मक प्रश्नों को सरलता से कठिनता की ओर क्रमबद्ध रूप में अनुविन्यासित करने का प्रयत्न किया गया है। उदाहरणों एवं प्रश्नों को समान क्रम में रखा गया है, जिससे विद्यार्थी उदाहरणों के आधार पर प्रश्न हल करता रहे।
- सभी महत्त्वपूर्ण विश्वविद्यालयों के प्रश्न-पत्रों के नवीन प्रारूपों के अनुसार विभिन्न अध्यायों के अन्त में लघु उत्तरीय एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पर्याप्त संख्या में जोड़ा गया है।
- विभिन्न अध्यायों में प्रयुक्त सूत्रों को सरल, लेकिन मानक रूप में रखा गया है तथा प्रत्येक अध्याय के अन्त में उस अध्याय में प्रयुक्त सभी सूत्रों को एक स्थान पर दिया गया है।
- प्रबन्धकीय लेखाविधि: प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्व
- लागत नियन्त्रण एवं लागत में कमी
- लागत प्रबन्ध
- बजटन एवं बजटरी नियन्त्रण
- शून्य आधार बजटन
- कार्यक्रम एवं निष्पादन बजटन
- प्रमाप लागत विधि
- विचरण विश्लेषण: सामग्री एवं श्रम विचरण
- अवशोषण एवं सीमान्त (परिवर्तनशील) लागत विधि
- लागत-मात्रा-लाभ विश्लेषण (सम-विच्छेद विश्लेषण)
- उत्तरदायित्व लेखांकन
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