पुस्तक का संशोधन करते समय नवीनतम महत्वपूर्ण दस्तावेजों का सहारा लिया गया है। विभिन्न अध्यायों में नवीनतम सामग्री का समावेश किया गया हैय इस प्रकार विषय से सम्बन्धित आंकड़े भी नवीनतम दिए गए हैं।
मुद्रा, बैंकिंग एवं राजस्व Money, Banking and Public Finance Syllabus For B. Com. Semester IV of Kumaun University, Nainital
Money, Banking & Foreign Exchange
Unit–I: Money: Concept, Quantity theory of money.
Unit–II: Value of money and its measurement, Inflation, and deflation.
Unit–III: Banking system in India, Different types of banks, Commercial Banks, Changing nature of banking in India after liberalization.
Unit–IV: Central Banking and its role, Credit control, and its measures.
Unit V: Foreign Exchange market, Determination of exchange rate, Factors affecting the exchange rate, Methods of exchange control.
Public Finance
Unit–I: Introduction: Definition, Nature and Scope, Importance and Role of Public Finance in National Economy, Principle of Maximum Social Advantage.
Unit–II: Public Revenue; Meaning of Tax, Cannons of taxation, types of taxation (Direct and Indirect), the incidence of taxation.
Unit–III: Public Debt: Meaning, Types, the effect of debt on production and distribution and public debts in India.
Unit–IV: Public Expenditure: Meaning, aims, classification, principles of public expenditure, economic stability, effects of public expenditure, The public Budget.
Unit-V: Fiscal Policy: Meaning, Objectives, Tools and limitations of fiscal policy, Finance Commission in India, Indian Tax Systems. Federal Finance in India; Central Finance, State finance, local finance, Deficit financing in India.
मुद्रा, बैंकिंग एवं राजस्व Money, Banking and Public Finance Book विषय-सूची
- मुद्रा
- मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त
- मुद्रा का मूल्य तथा इसकी माप
- मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन (अर्थ, प्रकार, कारण तथा विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव)
- बैंकिंग: परिभाषा, कार्य, प्रकार एवं महत्व
- व्यापारिक बैंक
- भारत में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार एवं नरसिम्हम समिति प्रतिवेदन
- केन्द्रीय बैंक एवं उसके कार्य
- विदेशी विनिमय बाजार
- विनिमय दर का निर्धारण
- विनिमय नियन्त्रण (उद्देश्य एवं विधियां)
- राजस्व (लोक-वित्त): परिचय
- सार्वजनिक वस्तुएं बनाम निजी वस्तुएं
- अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धान्त
- लोक व्यय
- लोक व्ययों में वृद्धि: घटक, वैगनर का नियम तथा पीकाॅक-वाइजमैन परिकल्पना
- उत्पादन, वितरण एवं आर्थिक स्थायित्व पर लोक व्यय के प्रभाव
- लोक आगम
- करारोपण या कर आगम: आशय, उद्देश्य एवं सिद्धान्त
- कर: प्रकार अथवा वर्गीकरण
- कर भार का वितरण या करारोपण में न्याय की समस्या
- अच्छी कर प्रणाली की विशेषताएं और भारतीय कर संरचना
- कराघात (कर का दबाव), करापात (कर-भार) और कर विवर्तन
- करदान क्षमता
- करारोपण के प्रभाव
- लोक ऋण
- लोक ऋण के शोधन (भुगतान) की रीतियां
- लोक ऋण का भार और प्रभाव
- लोक ऋण का प्रबन्ध
- राजकोषीय नीति एवं आर्थिक विकास
- सार्वजनिक या सरकारी बजट
- केन्द्रीय सरकार के आय एवं व्यय
- राज्य सरकारों के आय एवं व्यय
- हीनार्थ प्रबन्धन (घाटे की वित्त-व्यवस्था)
- वित्त आयोग
- भारतीय राजकोषीय नीति
- भारत में वित्तीय प्रशासन: आशय एवं महत्व
- भारत में बजट प्रक्रिया (तैयारी, विधायन एवं क्रियान्वयन)
- शून्य आधारित बजटिंग एवं निष्पादन आधारित बजटिंग
- भारत में वित्तीय नियन्त्रण
- केन्द्रीय सरकार के आगम, व्यय एवं ऋण प्रवृत्तियों का विश्लेषण
- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की वित्त व्यवस्था
- भारत में सार्वजनिक ऋण
- स्थानीय या म्युनिसिपल वित्त-व्यवस्था
- बाजार एवं राज्य: भूमिका एवं कार्य
- माल और सेवा कर (जी. एस.टी.)
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