भारत के अधिकांश विश्वविद्यालयों में ‘राजनीतिक सिद्धान्त’ का पाठ्यक्रम एक लीक पर चल रहा है, आज भी लगभग वही पाठ्यक्रम है जो दो या तीन दशक पूर्व था। इस दृष्टि से बिहार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए निर्धारित इस एकीकृत पाठ्यक्रम ने एक नवीन दिशा दी है। आज राजनीतिक चिन्तन के क्षेत्र में ‘उदारवादी दृष्टिकोण’ और ‘माक्र्सवादी दृष्टिकोण’ ने स्वाभाविक रूप से प्रमुखता प्राप्त कर ली है। ऐसी स्थिति में आवश्यक हो जाता है कि लोकतन्त्र, अधिकार, स्वतन्त्रता, समानता और न्याय, आदि धारणाओं की विवेचना उदारवादी दृष्टिकोण और माक्र्सवादी दृष्टिकोण के सन्दर्भ में की जाए। बिहार राज्य के इस एकीकृत पाठ्यक्रम के प्रारम्भ में ही राजनीति के उदारवादी दृष्टिकोण और माक्र्सवादी दृष्टिकोण को स्थान दिया गया है और इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है कि विभिन्न राजनीतिक धारणाओं का अध्ययन उदारवादी दृष्टिकोण के सन्दर्भ में किया जाना है।इस दृष्टि से ‘पाठ्यक्रम निर्धारण समिति’ साधुवाद की पात्र है और पुस्तक की रचना में पाठ्यक्रम के इस मूल दृष्टिकोण को पूर्णतया ध्यान में रखा गया है। पुस्तक बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए निर्धारित नवीन संशोधित एकीकृत पाठ्यक्रमानुसार है और इस बात की पूरी चेष्टा की गई है कि पुस्तक विद्यार्थियों के लिए एक श्रेष्ठतम पुस्तक की स्थिति प्राप्त कर सके।
‘राजनीतिक सिद्धान्त’ के अध्ययन विषय का तीव्र गति से विकास हो रहा है और विषय में नवीन प्रवृत्तियां प्रवेश कर रही हैं, जिनका सामान्य परिचय राजनीति विज्ञान के प्रारम्भिक विद्यार्थियों को भी प्राप्त होना ही चाहिए। इस बात को दृष्टि में रखते हुए सभी अध्यायों में नवीन प्रवृत्तियों की यथास्थान स्पष्टता और आवश्यक विस्तार के साथ विवेचना की गई है। लोकतन्त्र, राजनीतिक दल, दबाव समूह और अन्य कुछ विषयों की विवेचना में देश-विदेश की नवीनतम् घटनाओं के उदाहरण देकर विषय को रोचक बनाने का प्रयास किया गया है।
राजनीतिक सिद्धान्त Political Theory Book विषय-सूची
- राजनीति क्या है?
- राजनीति का उदारवादी और माक्र्सवादी दृष्टिकोण
- परम्परागत राजनीति विज्ञान: प्रकृति और क्षेत्र
- आधुनिक राजनीति विज्ञान: प्रकृति और क्षेत्र
- अन्तर-अनुशासनात्मक उपागम और राजनीति विज्ञान का अन्य समाज विज्ञानों से सम्बन्ध
- राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियाँ: परम्परागत और आधुनिक
- राज्य: परिभाषा और तत्व
- राज्य की प्रकृति के सिद्धान्त
- राज्य: साध्य-साधन विवाद
- राज्य के कार्य: उदारवाद, समाजवाद और लोककल्याणकारी राज्य
- आधुनिक राष्ट्र राज्य का उदय और विकास
- सम्प्रभुता: अद्वैतवाद और बहुलवाद
- कानून
- स्वतन्त्रता की अवधारणा
- समानता की अवधारणा
- अधिकार और कर्तव्य
- न्याय
- लोकतन्त्र: शास्त्रीय या उदारवादी, बहुलवादी, विशिष्ट वर्गीय और माक्र्सवादी धारणा
- राजनीतिक दल
- दबाव समूह
- मताधिकार और प्रतिनिधित्व की पद्धतियां
- व्यवहारवादी उपागम और राजनीति विज्ञान में आधुनिक विकास
- व्यवस्था उपागम
- संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक उपागम
- शक्ति की धारणा
- सत्ता (प्राधिकार) और वैधता या औचित्यपूर्णता
- राजनीतिक संस्कृति
- व्यक्तिवाद
- आदर्शवाद या प्रत्ययवाद
- माक्र्सवाद
- फेबीयनवाद
- लोकतान्त्रिक समाजवाद
- फासीवाद
- गांधीवाद
- समाजवाद
- अस्तित्ववाद
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