देश की स्वाधीनता के अनन्तर लोक प्रशासन कानून और व्यवस्था के क्षेत्र तक सीमित न रहकर जनजीवन से सम्बद्ध समस्त गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। विकास के चरण प्रगति की विविध दिशाओं में जिस गति से बढ़ रहे हैं उसी क्रम से नए-नए संगठनों का निर्माण और उनका विधिवत् संचालन प्रशासकों के लिए नित्य नई चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। विभिन्न योजनाओं में देश के नागरिकों की बढ़ती हुई अभिरुचि के साथ ही प्रशासक वर्ग का उत्तरदायित्व भी बढ़ता जा रहा है। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन आज एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय बन गया है कि उसके विविध पक्षों और स्वरूपों के सम्बन्ध में देश के बौद्धिक वर्ग को अधिक-से-अधिक परिचित कराया जाए।
प्रस्तुत लोक प्रशासन Public Administration पुस्तक में ‘लोक प्रशासन: सिद्धान्त एवं व्यवहार’ से सम्बन्धित अध्येतव्य आवश्यक समस्त सामग्री एक ही स्थान पर सुलभ कर दी गई है। पुस्तक में जगह-जगह लोक प्रशासन के सिद्धान्त सूत्र को भारत, इंग्लैण्ड, अमरीका और फ्रांस के प्रशासनिक संस्थानों और उनकी कार्यविधियों के तुलनात्मक अध्ययन से जोड़ने का सचेष्ट प्रयास किया गया है। यथासम्भव ‘प्रबन्ध’ के सिद्धान्त और व्यवहार पक्ष को ऐसे प्रस्तुत किया गया है कि पाठक विषय को व्यापक धरातल पर भी रखकर देख सकें।
लोक प्रशासन Public Administration Book विषय-सूची
- लोक प्रशासन: अर्थ तथा क्षेत्र
- लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व
- विकसित एवं विकासशील समाजों में लोक प्रशासन की भूमिका
- लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन
- लोक प्रशासन की अध्ययन प्रणाली
- लोक प्रशासन का स्वरूप: कला अथवा विज्ञान
- लोक प्रशासन और अन्य सामाजिक विज्ञान
- नवीन लोक प्रशासन
- संगठन: औपचारिक एवं अनौपचारिक
- संगठन सिद्धान्त: उपागम
- संगठन के सिद्धान्त
- संगठन की संरचना: मुख्य कार्यपालिका
- संगठन की संरचना: सूत्र तथा स्टाफ
- सूत्र अभिकरण: विभाग
- सूत्र अभिकरण: लोक निगम
- सूत्र अभिकरण: स्वतन्त्र नियामकीय आयोग
- प्रधान कार्यालय (मुख्यालय) तथा क्षेत्रीय संस्थाओं के बीच सम्बन्ध
- प्रशासन में निर्णय निर्माण प्रक्रिया: हर्बट साइमन
- प्रशासनिक प्रबन्ध के उपकरण: प्रशासनिक नेतृत्व
- प्रशासनिक प्रबन्ध के उपकरण: संचार अथवा संप्रेषणश्
- अभिप्रेरण अथवा प्रोत्साहन: मैस्लो, मैक्ग्रेगर एवं हर्जबर्ग
- लोक सेवा की अवधारणा
- लोक कर्मचारियों की भर्ती
- लोक कर्मचारियों का प्रशिक्षण
- लोक सेवा में पदोन्नति की समस्याएं एवं सिद्धान्त
- भारत में लोक सेवा: विकास की गाथा
- भारतीय प्रशासन में सामान्यज्ञों एवं विशेषज्ञों की भूमिका
- भारत में लोक सेवाएं: प्रशासनिक नैतिकता एवं आचार संहिता के सन्दर्भ में
- प्रशासन में सच्चरित्रता: भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में
- लोक सेवा में मनोबल
- ओम्बड्समेन का भारतीय प्रतिमान (लोकपाल और लोक आयुक्त)
- प्रशासन में मन्त्री-सचिव सम्बन्ध
- वित्तीय प्रशासन: बजट के तत्व
- भारत में बजट सम्बन्धी प्रक्रिया
- कार्य-निष्पादन बजट एवं शून्य आधारित बजट
- भारतीय लेखांकन तथा अंकेक्षण प्रणाली
- भारत का नियन्त्रक तथा महालेखा परीक्षक
- भारत में प्रशासन पर नियन्त्रण
- प्रतिनिहित विधान (प्रदत्त व्यवस्थापन): प्रशासकीय आवश्यकता
- प्रशासकीय अधिनिर्णय एवं प्रशासकीय न्यायाधिकरण
- लोक सम्पर्क
SURESH –
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