समाजशास्त्र Sociology Book का यह नवीन संस्करण लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा बी. ए. प्रथम वर्ष के द्वितीय सेमेस्टर हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित है। पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तक दो मुख्य खण्डों में विभाजित है। तृतीय प्रश्न-पत्र समाजशास्त्र की मूल अवधारणाओं से सम्बन्धित है, जबकि चतुर्थ प्रश्न-पत्र में भारतीय समाज से सम्बन्धित कुछ प्रमुख मुद्दों और समस्याओं का समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है। प्रथम तथा द्वितीय दोनों खण्ड चार-चार इकाइयों में विभाजित हैं, जिससे एक व्यवस्थित क्रम में समाजशास्त्र से सम्बन्धित मूल अवधारणाओं तथा भारतीय समाज में व्याप्त उन प्रमुख समस्याओं को समझा जा सके, जिनका सम्बन्ध क्षेत्रीय विभिन्नताओं, जनजातीय समुदायों तथा ग्रामीण और नगरीय समाजों की वर्ग-संरचना से है। द्वितीय खण्ड में दलित जातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों तथा स्त्रियों से सम्बन्धित उन दशाओं का भी विश्लेषण किया गया है, जिनका सम्बन्ध बहिष्कार तथा समावेशन से है।
पाठ्यक्रम से सम्बन्धित अधिकांश विषयों के अध्ययन का क्षेत्र इतना व्यापक है कि एक पाठ्य-पुस्तक की सीमाओं के अन्तर्गत सभी सम्बन्धित पक्षों की विवेचना कर सकना कठिन है। इस दशा में विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों से सम्बन्धित केवल उन्हीं पक्षों से अवगत कराने का प्रयत्न किया गया है, जो विषय को समझने के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। विभिन्न अध्यायों की विषय-वस्तु में इस तरह संशोधन किया गया है, जिससे समाजशास्त्र के आरम्भिक विद्यार्थी विषय की भावना के अनुसार उनके समाजशास्त्रीय पक्ष को सरलता से समझ सकें।
इस संस्करण में प्रत्येक अध्याय में पर्याप्त वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का समावेश किया गया है। साधारणतया वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का निर्माण केवल एक औपचारिकता के रूप में कर दिया जाता है। लेखक का यह प्रयत्न रहा है कि सभी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के विकल्प इस तरह निर्धारित किए जाएं, जिससे विषय को समझकर ही सही विकल्प का चयन किया जा सके। प्रश्नों के संयोजन में यह ध्यान रखा गया है कि प्रश्न परीक्षा के दृष्टिकोण से उपयोगी होने के साथ ही विद्यार्थियों को विभिन्न अवधारणाओं तथा समस्याओं की प्रकृति को समझने में सहायक हो सकें। प्रतियोगी परीक्षाओं में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के जिन मुख्य प्रकारों का उपयोग किया जाता है, उन पर भी प्रश्नों के निर्माण में विशेष ध्यान रखा गया है।
समाजशास्त्र Sociology Book विषय-सूची
तृतीय प्रश्न-पत्र : समाजशास्त्र में मूल अवधारणाएं
- सामाजिक क्रिया तथा सामाजिक सम्बन्ध
- प्रस्थिति एवं भूमिका
- सामाजिक संरचना
- सामाजिक संगठन एवं सामाजिक व्यवस्था
- सामाजिक प्रतिमान (जनरीतियां व लोकाचार), शास्तियां एवं मूल्य
- सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रियाएं : सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा, संघर्ष, परसंस्कृति-ग्रहण, सात्मीकरण एवं एकीकरण
- सामाजिक नियन्त्रण
- समाजीकरण
- सामाजिक स्तरीकरण : अर्थ, आधार एवं स्वरूप
- सामाजिक गतिशीलता : अर्थ, प्रकृति एवं प्रकार
- सामाजिक परिवर्तन : अर्थ, प्रकार एवं कारक
- सामाजिक आन्दोलन : अर्थ एवं प्रकार
चतुर्थ प्रश्न-पत्र : भारतीय समाज : मुद्दे और समस्याएं
13. भारतीय समाज में विविधता एवं एकता
14. क्षेत्रीय विविधताएं : स्वायत्तता, पहचान तथा एकीकरण के मुद्दे
15. भारत में जनजातीय समुदाय : भौगोलिक वितरण, पिछड़ापन, आत्मसातकरण एकीकरण एवं दृढ़ीकरण के सन्दर्भ में
16. भारत में जातिवाद तथा जाति की राजनीति
17. साम्प्रदायिकता एवं भारत में साम्प्रदायिकता की राजनीति
18.भारत में सामाजिक वर्ग : खेतीहर-ग्रामीण, औद्योगिक-नगरीय एवं मध्यम वर्ग
19. बहिष्कार बनाम समावेशन : दलित तथा पिछड़े वर्ग
20. भारत में अल्पसंख्यक एवं स्त्रियां
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