समाजशास्त्र Sociology Book छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों हेतु समाजशास्त्र, बी. ए. तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम पर आधारित है। पाठ्यक्रम से सम्बन्धित सभी विषयों को एक व्यवस्थित क्रम में इस तरह प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है जिससे विद्यार्थी सरल और क्रमबद्ध रूप से प्रत्येक विषय के विभिन्न पक्षों को समझ सकें। सम्पूर्ण समाजशास्त्र Sociology Book प्रथम तथा द्वितीय प्रश्न-पत्र के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार दो मुख्य खण्डों में विभाजित है। प्रथम खण्ड में जनजातीय समाज के प्रमुख पक्षों की विवेचना की गई है, जबकि दूसरा खण्ड सामाजिक अनुसंधान की पद्धतियों से सम्बन्धित है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जनजातीय समाज के समाजशास्त्र के अध्ययन का विशेष महत्व है। यह भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है। जिसकी जनसंख्या का 31 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा जनजातीय है तथा इस राज्य में निवास करने वाली बहुत-सी जनजातियों का जीवन आज भी आदिम विशेषताओं से युक्त है। इस स्थिति में समाजशास्त्र Sociology Book के प्रथम खण्ड में समाजशास्त्रीय विचारों का आधार की प्रकृति को स्पष्ट करने के साथ ही छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में जनजातियों के भौगोलिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवेश की विस्तार से विवेचना की गई है। सरकार द्वारा किए गए विकास के विभिन्न प्रयत्नों से जनजातियों के जीवन में सामाजिक दृढ़ीकरण में वृद्धि करने की चेतना उत्पन्न होने लगी है। यह सच है कि इस दशा ने अनेक जनजातीय आन्दोलनों को भी जन्म दिया है, लेकिन इससे जनजातियों के जीवन में सुधार की प्रक्रियाएं भी आरम्भ हुई हैं। छत्तीसगढ़ की कुछ प्रमुख जनजातियों, जैसेकृओरांव, कंवर तथा गोंड के विशेष सन्दर्भ में जनजातीय सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं तथा उनमें होने वाले वर्तमान परिवर्तनों को प्रामाणिक आधार पर स्पष्ट किया गया है। समाजशास्त्र Sociology Book का द्वितीय खण्ड सामाजिक अनुसंधान की पद्धतियां से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत सामाजिक अनुसंधान की उन सभी प्रमुख पद्धतियों की प्रकृति तथा क्रिया-विधि को स्पष्ट किया गया है, जिनके माध्यम से एक अनुसंधानकर्ता अध्ययन-विषय से सम्बन्धित तथ्यों का संकलन करके उनके आधार पर सामान्य सामाजिक नियमों को ज्ञात करता है। वर्तमान युग में अनुसंधान के अन्तर्गत सामाजिक सांख्यिकी एवं तथ्यों के चित्रमय प्रदर्शन द्वारा विभिन्न तथ्यों के सहसम्बन्ध को स्पष्ट करना विशेष रूप से उपयोगी माना जाने लगा है। इस दृष्टिकोण से समाजशास्त्र Sociology Book के अन्तिम चार अध्याय सामाजिक सांख्यिकी के उपयोग पर आधारित हैं। सामान्य रूप से अनुसंधान की पद्धतियों के विवेचन को एक नीरस और कठिन कार्य माना जाता है, लेकिन प्रत्येक पद्धति को विभिन्न उदाहरणों के साथ इस तरह प्रस्तुत किया गया है, जिससे विद्यार्थी उनके उपयोग की प्रविधियों को आसानी से समझा सके।
समाजशास्त्र Sociology Book विषय-सूची
प्रथम प्रश्न-पत्र : समाजशास्त्रीय विचारों का आधार
द्वितीय प्रश्न-पत्र : सामाजिक अनुसंधान की पद्धतियां
- सामाजिक अनुसंधान का अर्थ एवं महत्व
- वैज्ञानिक पद्धति
- उपकल्पना
- गुणात्मक अनुसंधान : नृजातिकी
- अवलोकन
- वैयक्तिक अध्ययन
- अन्तर्वस्तु-विश्लेषण
- अनुसंधान के प्रकार: ऐतिहासिक, वर्णनात्मक, तुलनात्मक, अन्वेषणात्मक, प्रयोगात्मक
- तथ्य संकलन की प्रविधियां: सर्वेक्षण तथ्य संकलन की प्रविधियां: सर्वेक्षण
- निदर्शन
- प्रश्नावली
- साक्षात्कार एवं साक्षात्कार निर्देशिका
- साक्षात्कार अनुसूची
- सामाजिक सांख्यिकी का अर्थ, महत्व एवं सीमाएं
- बिन्दुरेख एवं चित्र
- केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप: माध्य, मध्यिका तथा बहुलांक
- सहसम्बन्ध का सांख्यिकीय विश्लेषण
- सामाजिक अनुसंधान में संगणक का उपयोग
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