समाजशास्त्र Sociology पुस्तक का यह नवीन संस्करण लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा बी. ए. द्वितीय वर्ष, समाजशास्त्र के तृतीय सेमेस्टर हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित है।
- पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तक दो मुख्य खण्डों में विभाजित है। प्रथम खण्ड मे प्रथम प्रश्न-पत्र की विषय-वस्तु तथा द्वितीय खण्ड में द्वितीय प्रश्न-पत्र के लिए निर्धारित विषय-वस्तु का समावेश किया गया है।
- पाठ्यक्रम का प्रथम प्रश्न-पत्र समाजशास्त्रीय चिन्तन के प्रादुर्भाव तथा इसमें योगदान करने वाले प्रमुख विचारकों के दृष्टिकोण पर आधारित है। इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम उन भौतिक और बौद्धिक दशाओं का उल्लेख किया गया है, जिनके प्रभाव से यूरोप में समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव हुआ। इसी क्रम में आगस्त कोंत, हरबर्ट स्पेन्सर, इमाइल दरखाइम, विलफ्रेडो परेटो तथा जाॅर्ज सिमेल द्वारा प्रस्तुत उन प्रमुख अवधारणाओं एवं सिद्धान्तों को स्पष्ट किया गया है, जिन्होंने समाजशास्त्र की अध्ययन-वस्तु का निर्धारण करने के साथ ही समाजशास्त्र को एक व्यवस्थित विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित किया।
- पुस्तक का द्वितीय खण्ड द्वितीय प्रश्न-पत्र ‘भारत में सामाजिक परिवर्तन’ की विवेचना से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत सामाजिक परिवर्तन से सम्बन्धित विभिन्न सैद्धान्तिक अवधारणाओं को सरल, व्यवस्थित और प्रामाणिक आधार पर स्पष्ट किया गया है। अपने दैनिक जीवन में हम सामाजिक परिवर्तन जैसे शब्द का प्रचुरता से उपयोग करते हैं, लेकिन इससे सम्बन्धित विभिन्न पक्षों और समस्याआंे को समाजाशास्त्रीय दृष्टिकोण से समझने से ही इसकी वास्तविक प्रकृति को समझा जा सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम सामाजिक संरचना की समाजशास्त्रीय अवधारणा को समझने के लिए ‘सामाजिक संरचना में परिवर्तन’ तथा ‘सामाजिक संरचना’ के परिवर्तन’ की प्रकृति और पारस्परिक अन्तर को स्पष्ट किया गया है। इसके साथ ही इस खण्ड में सामाजिक परिवर्तन के उन सिद्धान्तों की भी विवेचना की गई है, जिनके आधार पर विभिन्न समाजशास्यिों ने सामाजिक परिवर्तन के कारणों को स्पष्ट किया है। भारत में आज सामाजिक परिवर्तन की प्रकृति को सूचना प्रौद्योगिकी ने व्यापक रूप से प्रभावित किया है। पुस्तक में सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित नवीनतमक स्थिति के सन्दर्भ में सामाजिक परिवर्तन से इसके सम्बन्ध की विवेचना की गई है। भारतीय समाज में संरचनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में अनेक प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें पश्चिमीकरण, आधुनिकीकरण, वैश्वीकरण, लौकिकीकरण, संस्कृतिकरण, स्थानीकरण तथा सार्वभौमीकरण कुछ प्रमुख प्रक्रियाएं हैं। पुस्तक में इन सभी प्रक्रियाओं की प्रकृति तथा भारतीय समाज और संस्कृति पर इनके प्रभावों की विवेचना की गई है।
समाजशास्त्र Sociology Syllabus For B.A. II Year of Lucknow University, Lucknow
Paper 1: Foundation of Sociological Thought
Unit I: Emergence of Sociology: Social, Economic and Political Factors; The Industrial Revolution and the French Revolution. Intellectual Sources : Enlightenment, Philosophy of History, Political Philosophy, Social and Political Reform Movements and Biological Theories of Evolution.
Unit II: Auguste Comte: Positivism, The Hierarchy of Science and The Law of Three Stages. Herbert Spencer: Organicism, Social Evolution, and Social Darwinism.
Unit III: Emile Durkheim: Social Fact, Division of Labour, Mechanical Solidarity, Organic Solidarity, Anomie, Suicide – Altruistic, Egoistic and Anomic.
Unit IV: Vilfredo Pareto: Action – Logical and Non-logical Actions, Residues and Derivations. George Simmel: Forms of ‘Sociation’, Consequences of Social Conflict, Emotions, and Violence.
Paper 2: Social Change in India
Unit I: Concept of Social Change: Change in Structure and Change of Structure. Types of Social Change.
Unit II: Theories of Social Change: Linear, Cyclical and Demographic. Information Technology.
Unit III: Social Change in India: Westernization, Modernization and Globalization.
Unit IV: Process of Social Change in India : Secularization, Sanskritization, Universalization and Parochialization.
समाजशास्त्र Sociology Book विषय-सूची
प्रथम प्रश्न-पत्र : समाजशास्त्रीय चिन्तन के आधार
- समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव
- सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक कारक: फ्रांस की क्रान्ति तथा औद्योगिक क्रान्ति
- समाजशास्त्र के प्रादुर्भाव के बौद्धिक स्रोत: ज्ञानोदय, इतिहास का दर्शन, राजनीतिक दर्शन तथा सामाजिक और राजनीतिक सुधार आन्दोलन
- आगस्त कोंत (1798-1857)
- हरबर्ट स्पेन्सर (1820-1903)
- इमाइल दरखाइम (1858.-1917)
- विलफ्रेडो परेटो (1848-1923)
- जाॅर्ज सिमेल (1858-1918)
द्वितीय प्रश्न-पत्र: भारत में सामाजिक परिवर्तन
- सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा: संरचना में परिवर्तन एवं संरचना का परिवर्तन
- सामाजिक परिवर्तन के प्रकार: उद्विकास, विकास, प्रगति एवं क्रान्ति
- सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त: रेखीय, चक्रीय एवं जनांकिकीय
- सूचना प्रौद्योगिकी एवं सामाजिक परिवर्तन
- पश्चिमीकरण
- आधुनिकीकरण
- वैश्वीकरण
- भारत में सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएं: लौकिकीकरण
- संस्कृतिकरण
- परम्पराओं का स्थानीकरण एवं सार्वभौमीकरण
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