प्रस्तुत समाजशास्त्र Sociology पुस्तक ‘समाजशास्त्र’ मध्य प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालय के द्वारा बी. ए. तृतीय वर्ष हेतु निर्धारित नवीन पाठ्यक्रम पर आधारित है।
नए पाठ्यक्रम की सम्पूर्ण विषय-वस्तु दो प्रश्न-पत्रों में विभाजित है। इनमें प्रथम प्रश्न-पत्र का सम्बन्ध प्रमुख समाजशास्त्रीय विचार से है, जबकि द्वितीय प्रश्न-पत्र सामाजिक अनुसन्धान की पद्धतियां से सम्बन्धित है। पुस्तक में इन दोनों प्रश्न-पत्रों से सम्बन्धित विभिन्न इकाइयों की सम्पूर्ण विषय-वस्तु को सरल एवं व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया गया है।
प्रथम प्रश्न-पत्र के अन्तर्गत सर्वप्रथम उन दशाओं की विवेचना की गई है, जिनके फलस्वरूप यूरोप में समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव हुआ। इनमें ज्ञानोदय, फ्रांस की क्रान्ति तथा इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रान्ति वे प्रमुख दशाएं हैं, जिन्होंने यूरोप में अनेक नई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक शक्तियां उत्पन्न करके समाजशास्त्र के प्रादुर्भाव के लिए एक अनुकूल वातावरण उत्पन्न किया। समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव मूलरूप से तीन भागों में विभाजित रहा है। पहला भाग समाजशास्त्र के उन संस्थापकों से सम्बन्धित है, जिन्होंने एक विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र को स्थापित करने में प्रमुख योगदान किया। आगस्त काॅम्ट तथा हर्बर्ट स्पेन्सर इसी श्रेणी से सम्बन्धित विचारक हैं। दूसरा भाग समाजशास्त्र की उस शास्त्रीय परम्परा से है, जिससे सम्बन्धित विचारकों के योगदान से समाजशास्त्र को एक पृथक् सामाजिक विज्ञान के रूप में मान्यता मिल सकी। इसके अन्तर्गत हम दुर्खीम, मैक्स वेबर, कार्ल माक्र्स तथा परेटो के चिन्तन को सम्मिलित करते हैं। तीसरा भाग समाजशास्त्रीय सिद्धान्त के उन सम्प्रदायों से है, जिन्हें समाजशास्त्र के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रकार्यवाद, संघर्ष सम्प्रदाय तथा सामाजिक क्रिया परिप्रेक्ष्य इसी तरह के सम्प्रदाय हैं। इसी इकाई के अन्तर्गत भारत में समाजशास्त्रीय चिन्तन के विकास की प्रवृत्तियों को भी स्पष्ट किया गया है।
पुस्तक के द्वितीय भाग के अन्तर्गत सामाजिक अनुसन्धान की प्रकृति को स्पष्ट करने के साथ ही उन विभिन्न समस्याओं की विवेचना की गई है, जिनका सामना अनुसन्धानकर्ता को अध्ययन की वस्तुनिष्ठता बनाए रखने के लिए करना होता है। प्रथम प्रश्न-पत्र की द्वितीय इकाई में अनुसन्धान की पद्धतियों से सम्बन्धित अनुसन्धान प्ररचना, सामाजिक सर्वेक्षण, उपकल्पना तथा निदर्शन की प्रकृति एवं इनके उपयोग को स्पष्ट किया गया है। तृतीय इकाई का सम्बन्ध अनुसन्धान से सम्बन्धित तथ्यों की प्रकृति तथा उनका संकलन करने की विभिन्न प्रविधियों जैसे – अवलोकन, साक्षात्कार, प्रश्नावली, अनुसूची तथा वैयक्तिक अध्ययन से है। चतुर्थ इकाई में तथ्यों के सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए तथ्यों के वर्गीकरण, सारणीयन तथा केन्द्रीय प्रवृत्तियों की माप को स्पष्ट किया गया है। वर्तमान युग में तथ्यों के विश्लेषण के लिए कम्प्यूटर के बढ़ते हुए उपयोग एवं इसकी कार्य-विधि पर प्रकाश डाला गया है। किसी भी अनुसन्धान से सम्बन्धित यह सभी पद्धतियां और प्रविधियां वे हैं, जिनकी सहायता से विद्यार्थी अध्ययन-विषय से सम्बन्धित सामान्य निष्कर्ष ज्ञात करने की कुशलता विकसित कर सकते हैं।
समाजशास्त्र Sociology Book विषय-सूची
प्रथम प्रश्न-पत्र : प्रमुख समाजशास्त्रीय विचार
- ऑगस्ट काॅम्ट
- इमाइल दुर्खीम
- पितरिम साॅरोकिन
- मैक्स वेबर
- कार्ल माक्र्स
- थाॅर्सटीन वेबलिन
- राॅबर्ट के. मर्टन
- विलफ्रेडो परेटो
- टाल्काॅट पारसन्स
- महात्मा गांधी
- राधाकमल मुकर्जी
- भीमराव अम्बेदकर
- एम. एन. श्रीनिवास
- ए. आर. देसाई
- योगेन्द्र सिंह
द्वितीय प्रश्न-पत्र : सामाजिक अनुसन्धान की पद्धतियां
- सामाजिक अनुसन्धान: अर्थ, विशेषताएं, चरण एवं महत्व
- वैज्ञानिक पद्धति: अर्थ एवं महत्व
- उपकल्पना का निर्माण
- अनुसन्धान प्ररचना
- सामाजिक सर्वेक्षण: अर्थ, विशेषताएं, उद्देश्य तथा प्रकार
- अनुसन्धान पद्धति: वैयक्तिक अध्ययन पद्धति
- निदर्शन पद्धति
- तथ्य संकलन की प्रविधियां: प्रश्नावली एवं अनुसूची
- साक्षात्कार
- अवलोकन
- अनुमापन प्रविधियां: लिकर्ट एवं बोगार्डस के पैमाने
- तथ्यों का वर्गीकरण तथा सारणीयन
- प्रतिवेदन लेखन
- सांख्यिकी का अर्थ, उपयोगिता एवं सीमाएं
- केन्द्रीय प्रवृत्ति का अर्थ, महत्व एवं मापन: माध्य, मध्यिका एवं बहुलांक
- तथ्यों का प्रस्तुतीकरण: चित्रमय एवं रेखाचित्र प्रदर्शन
- सामाजिक अनुसन्धान में संगणक का उपयोग
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