यह समाजशास्त्र Sociology पुस्तक कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित बी. ए. तृतीय वर्ष, समाजशास्त्र के पांचवें सेमेस्टर के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित है।
पुस्तक की सम्पूर्ण विषय-वस्तु दो मुख्य भागों में विभाजित हैकृप्रथम भाग में प्रथम प्रश्न-पत्र के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम से सम्बन्धित ‘संस्थापित समाजशास्त्रीय चिन्तन’ की विवेचना की गई है। इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम समाजशास्त्रीय चिन्तन के विकास से सम्बन्धित विभिन्न दशाओं का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि भारत तथा यूरोप का दार्शनिक चिन्तन किस तरह समाजशास्त्रीय चिन्तन के रूप में परिवर्तित हुआ। इसके पश्चात् आगस्त कॉम्ट, इमाइल दरखाइम, कार्ल मार्क्स तथा मैक्स वेबर जैसे उन विचारकों के चिन्तन का विश्लेषण किया गया है, जिन्हें समाजशास्त्रीय चिन्तन के इतिहास के संस्थापकों के रूप में मान्यता दी जाती है।
पुस्तक का दूसरा खण्ड पाठ्यक्रम के द्वितीय प्रश्न-पत्र ‘ग्रामीण समाजशास्त्र’ से सम्बन्धित विभिन्न विषयों की एक सरल और प्रामाणिक व्याख्या है। इसके अन्तर्गत ग्रामीण समाजशास्त्र की उत्पत्ति और विकास को स्पष्ट करने के साथ ग्रामीण सामाजिक संरचना तथा परिवर्तन की मुख्य प्रक्रियाओं की विवेचना की गई है। इसके साथ ही ग्रामीण समाज में होने वाले नियोजित परिवर्तन के रूप में पंचायती राज व्यवस्था की वर्तमान संरचना, सामुदायिक विकास कार्यक्रम तथा ग्रामीण पुनर्निर्माण से सम्बन्धित उन विकास कार्यक्रमों से विद्यार्थियों को परिचित कराया गया है, जो ग्रामीण भारत के बदलते हुए रूप को समझने के लिए आवश्यक है। पुस्तक में वर्ष 2016 तक लागू विभिन्न विकास कार्यक्रमों का उल्लेख किया गया है।
समाजशास्त्र Sociology Syllabus For B.A. (Hons.) Semester V of Kumaun University
Paper I: Clasical Sociological Thoughts
Unit I Development of Sociological Thought; Transition from Social Philosophy to Sociology.
Unit II Auguste Comte: Hierarchy of Sciences, Positivism.
Unit III Emile Durkheim: Social Fact, Suicide, Social Solidarity.
Unit IV Karl Marx: Class Conflict, Dialectical Materialism, Historical Materialism.
Unit V Max Weber: Social Action, Authority, Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism.
Paper II: Rural Sociology
Unit I Rural Sociology: Meaning, Origin and Development, Scope and Subject Matter. Need for Development of Rural Society in India.
Unit II Rural and Urban Community: Concept and Distinctive Features. Rural Habitation and Settlement. Rural-Urban Distinction and Continuum.
Unit III Rural Dynamics: Process of Change in Rural Society – Little Tradition, Great Tradition, Universalization, and Parochialization.
Unit IV Rural Power Structure: Traditional Power Structure in Rural India – Bases, Feature, and Changing Pattern. Rural Leadership – Meaning, Features, Traditional Bases and Changing Patterns.
Unit V Planned Change in Rural Society – Panchayati Raj System and Democratic Decentralization. Community Development Programmes and Programmes for Rural reconstruction (with special reference to IRDP, Five year plans and MNREGA).
समाजशास्त्र Sociology Book विषय-सूची
प्रथम प्रश्न-पत्र: संस्थापित समाजशास्त्रीय चिन्तन
- समाजशास्त्रीय चिन्तन का विकास: सामाजिक दर्शन से समाजशास्त्र की ओर संक्रमण
- आगस्त कॉम्ट: विज्ञानों का संस्तरण एवं प्रत्यक्षवाद
- इमाइल दरखाइम: सामाजिक तथ्य, आत्महत्या, सामाजिक एकता
- कार्ल मार्क्स: द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद, ऐतिहासिक भौतिकवाद, वर्ग-संघर्ष
- मैक्स वेबर: सामाजिक क्रिया, सत्ता, प्रोटेस्टेण्ट आचार एवं पूंजीवाद का सार
द्वितीय प्रश्न-पत्र: ग्रामीण समाजशास्त्र
- ग्रामीण समाजशास्त्र: अर्थ, उत्पत्ति, विकास, अध्ययन-क्षेत्र एवं विषय-वस्तु
- भारत में ग्रामीण समाज के विकास की आवश्यकता
- ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय: अवधारणा एवं विशेषताएं
- ग्रामीण-नगरीय भिन्नता एवं सातत्य
- ग्रामीण निवास तथा बसाहट
- ग्रामीण समाज में परिवर्तन की प्रक्रियाएं
- लघु एवं वृहत् परम्परा: स्थानीकरण एवं सार्वभौमीकरण
- ग्रामीण शक्ति-संरचना: परम्परागत शक्ति-संरचना की प्रकृति एवं बदलते प्रतिमान
- ग्रामीण नेतृत्व: अर्थ, विशेषताएं, परम्परागत आधार एवं परिवर्तनशील प्रतिमान
- ग्रामीण समाज में नियोजित परिवर्तन : पंचायती राज व्यवस्था
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम
- ग्रामीण पुनर्निर्माण के कार्यक्रम
Omprakash –
Bahut achha he