प्रस्तुत समाजशास्त्र पुस्तक विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग द्वारा बी. ए. तृतीय वर्ष के पांचवें सेमेस्टर हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित है।
नवीन पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तक की विषय-वस्तु दो मुख्य खण्डों में विभाजित है। प्रथम खण्ड में झारखण्ड की जनजातियों से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों की प्रामाणिक तथ्यों के आधार पर सरल विवेचना की गई है। पुस्तक का द्वितीय खण्ड भारत में ग्रामीण समाज के विभिन्न पक्षों की व्याख्या से सम्बन्धित है।
पुस्तक के प्रथम खण्ड में सर्वप्रथम भारत तथा झारखण्ड की प्रमुख जनजातियों से परिचित होने के लिए उनके स्थानीय वितरण और जनसंख्या सम्बन्धी मुख्य विशेषताओं को वर्ष 2011 की जनगणना के सन्दर्भ में स्पष्ट किया गया है। जनजातीय समस्याओं तथा जनजातीय महिलाओं की प्रस्थिति को स्पष्ट करने के लिए सम्बन्धित अध्ययनों तथा गोष्ठियों में व्यक्त विचारों की सहायता ली गई है। जनजातीय आन्दोलन स्वयं में एक व्यापक विषय है, लेकिन पुस्तक में केवल उन्हीं आन्दोलनों का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जो पाठ्यक्रम से सम्बन्धित है। झारखण्ड की कुछ प्रमुख जनजातियों से सम्बन्धित विवरण उन ग्रन्थों में दी गई सूचनाओं पर आधारित हैं, जिन्हें काफी प्रामाणिक माना जाता है।
पुस्तक का द्वितीय खण्ड ग्रामीण भारत के महत्वपूर्ण पक्षों से सम्बन्धित एक सरल और संक्षिप्त चित्रण है। इसमें भारत के ग्रामीण समाज की आधारभूत विशेषताओं को स्पष्ट करने के साथ परिवार, जाति, धर्म, आवास तथा बसाहट जैसेकृसंस्थात्मक और संरचनात्मक आधारों की सरल विवेचना प्रस्तुत की गई है। इस खण्ड में एक ओर भारत के ग्रामीण समाज से सम्बन्धित प्रमुख समस्याओं के वर्तमान रूप को स्पष्ट किया गया है, तो दूसरी ओर, उन नियोजित परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया है, जिनका उद्देश्य ग्रामीण समाज की समस्याओं का समाधान करके उसे विकास की मुख्य धारा से जोड़ना है। ग्रामीण विकास की रणनीति से सम्बन्धित नवीनतम कार्यक्रमों की जानकारी देना पुस्तक की महत्वपूर्ण विशेषता है।
समाजशास्त्र Sociology Book विषय-सूची
Paper 5 – 1 झारखण्ड की जनजातियां
- भारत एवं झारखण्ड में जनजातियां
- जनजातीय लोगों की समस्याएं: निर्धनता, निरक्षरता, भूमि-पृथक्करण एवं शोषण
- झारखण्ड में जनजातीय स्त्रियों की प्रस्थिति
- जनजातीय आन्दोलन: बिरसा, ताना भगत एवं झारखण्ड आन्दोलन
- झारखण्ड की जनजातियां: मुण्डा, संथाल, बिरहोर, हो एवं उरांव
Paper 5 – 2 भारत में ग्रामीण समाज
- भारत में ग्रामीण समाज: आधारभूत विशेषताएं
- ग्रामीण परिवार
- ग्रामीण समाज में जाति
- ग्रामीण धर्म
- ग्रामीण निवास एवं बसाहट
- ग्रामीण समस्याएं: निर्धनता, प्रव्रजन एवं भूमिहीन श्रमिक
- ग्रामीण समाज में नियोजित परिवर्तन
- स्थानीय स्व-शासन के रूप में पंचायत राज
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम
- ग्रामीण विकास की योजनाएं
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