- मुद्रा एंव वित्तीय प्रणालियां Money & Financial Systems Book के चतुर्थ संस्करण को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यन्त हर्ष एवं सन्तोष का अनुभव हो रहा है। किसी देश के आर्थिक विकास को गतिशील बनाने में उस देश में प्रचलित मुद्रा एवं वित्तीय प्रणालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विगत कुछ वर्षों से आर्थिक जगत में हो रहे तीव्र परिवर्तन एवं वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में इनका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा भारतीय विश्वविद्यालयों के वाणिज्य विषय के विद्यार्थियों के लिए जिस समरूप पाठ्यक्रम का अनुमोदन किया गया है, उसमें ‘मुद्रा एवं वित्तीय प्रणालियां’ को भी समाहित किया गया है। इस पाठ्यक्रम को विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा अंगीकार कर इसे वर्तमान शिक्षा-सत्र से लागू कर दिया गया है। इस नवीन पाठ्यक्रम में एक प्रश्न-पत्र के रूप में स्वीकृत ‘मुद्रा एवं वित्तीय प्रणालियां’ की विषय-वस्तु से विद्यार्थियों को परिचित कराने की दृष्टि से पुस्तक को लिखने का प्रयास किया गया है।
- इस पुस्तक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अनुमोदित एवं विश्वविद्यालयों द्वारा अंगीकृत पाठ्यक्रम को समाहित करते हुए इसकी विषय-वस्तु को क्रमबद्ध, सरल, सुबोध एवं सारगर्भित भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक नवीनतम आंकड़ों एवं अद्यतन सूचनाओं से सुसज्जित है।
Money & Financial Systems Book Syllabus विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए
इकाई 1: मुद्रा: कार्य, भारत में आपूर्ति के वैकल्पिक उपाय, उनके विभिन्न अंग, अर्थ और परिवर्तित प्रासंगिक महत्व, उच्च शक्ति मुद्रा – अर्थ और उपयोग, उच्च शक्ति मुद्रा के परिवर्तनों के साधन, वित्त: अर्थव्यवस्था में वित्त का योगदान, वित्त के प्रकार, वित्तीय प्रणाली, अंग, वित्तीय मध्यस्थ, बाजार और उसके उपागम और बाजार के कार्य।
इकाई 2: भारतीय बैंकिंग प्रणाली – बैंक की परिभाषा, वाणिज्यिक बैंक के महत्व व कार्य, भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग प्रणालियों का ढांचा, बैंक का स्थिति विवरण, मुख्य देयताएं और सम्पत्तियों का आशय व महत्व, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भारत में सहकारी बैंकिंग।
इकाई 3: बैंकों द्वारा साख सृजन की प्रक्रिया, मुद्रा आपूर्ति और कुल बैंक साख का निर्धारण, विकास बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं, उनकी मुख्य विशेषताएं, भारत में अनियमित साख बाजार, मुख्य विशेषताएं।
इकाई 4: रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया: कार्य, मौद्रिक एवं साख नियन्त्रण के उपकरण, स्वाधीनता के पश्चात् मौद्रिक नीति की मुख्य विशेषताएं, ब्याज दरें, भारत में विभिन्न दरें ;जैसे – बाॅण्ड दर, बिल दर, जमा दर आदिद्ध प्रशासनिक एवं बाजार निर्धारण दरें, ब्याज की दरों में अन्तर के विभिन्न स्रोत, 1951 के पश्चात् औसत ब्याज दरों के सम्बन्ध में व्यवहार, मुद्रास्फीति व स्फीतिक प्रत्याशाओं का प्रभाव।
इकाई 5: संस्थागत साख के अभिविभाजन ;आबंटनद्ध की समस्याएं और नीतियां, सहकारी और वाणिज्यिक क्षेत्र के मध्य समस्याएं, अंतर्वर्गीय और अंतर्क्षेत्रीय समस्याएं, वृहद् एवं लघु ऋणग्रहीता (ऋणी) की समस्याएं, बैंकों के राष्ट्रीयकरण 1969 के पूर्व और पश्चात् बैंकों की क्रियाओं के सम्बन्ध में विवादित दबावों की क्रियाएं।
मुद्रा एंव वित्तीय प्रणालियां Money & Financial Systems Book विषय-सूची
- मुद्रा की परिभाषा, कार्य एवं महत्व
- मुद्रा की पूर्ति एवं उच्च शक्ति मुद्रा
- अर्थव्यवस्था में वित्त की भूमिका
- वित्तीय प्रणाली
- वित्तीय मध्यस्थ
- वित्तीय बाजार के उपकरण या लेख-पत्र एवं उनके कार्य
- बैंक की परिभाषा, कार्य, प्रकार एवं महत्व
- भारतीय बैंकिंग प्रणाली तथा व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक बैंक
- बैंक का स्थिति विवरण
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
- भारत में सहकारी बैंक
- साख निर्माण (अथवा सृजन) एवं साख नियन्त्रण
- विकास बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां
- भारत में गैर-नियमित साख-बाजार
- रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया
- भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति
- ब्याज दरें
- संस्थागत साख के आबंटन की समस्याएं एवं नीतियां
- राष्ट्रीयकरण के पूर्व एवं पश्चात् बैंकों के कार्य पर विवाद जनित दबाव
- भारत में वित्तीय प्रणाली का सुधार
- मुद्रा मूल्य में परिवर्तन (स्फीति, संकुचन, आदि)
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