प्रस्तुत व्यावसाय प्रबन्ध के सिद्धान्त Principles of Business Management पुस्तक में लागू किए गए नवीन पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार की गई है।
- B.Com Ist Semester of Kumaun University Nainital.
- B.Com IInd Semester of Sri Agrasen Kanya P.G. College Varanasi, Guru Ghasidas University Bilaspur.
- B.Com I Year of Jai Narain Vyas University Jodhpur.
- B.Com (Hons) I Year of Jai Prakash University Chapra.
- B.Com II Year of Mahatama Jyotiba Phule Rohilkhand University Bareilly, Bundelkhand University Jhansi, Chaudhary Charan Singh University Meerut, Dr Bhimrao Ambedkar University Agra, Dr Ram Manohar Lohia Avadh University Faizabad, Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University Kanpur, Pandit Ravishankar Shukla University, Bastar University, Bilaspur University, Sarguja University.
- B.Com(Hons) II Year of Mahatama Jyotiba Phule Rohilkhand University Bareilly.
आज प्रत्येक राष्ट्र प्रबन्ध सिद्धान्तों की शिक्षा को अति महत्वपूर्ण स्थान प्रदान कर रहा है, क्योंकि अब यह माना जाता है कि प्रबन्ध विषय में दीक्षित प्रबन्धक की राष्ट्र के संसाधनों का सदुपयोग कर राष्ट्र को आर्थिक रूप से समृद्ध बना सकते हैं। अब प्रबन्ध शिक्षा न केवल उद्योगों के प्रबन्ध के लिए ही, बल्कि सामाजिक सेवाओं जैसेकृअस्पताल, बैंक व बीमा, यातायात आदि के प्रबन्ध के लिए भी अपरिहार्य मानी जाने लगी है। कुछ प्रबन्ध सिद्धान्त तो इतने महत्वपूर्ण हैं कि वे प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह इंजीनियर हो या डाॅक्टर, वकील हो या व्यवसायी, सभी के जीवन के लिए पाए गए हैं।
भारत में भी प्रबन्ध विषय का महत्व दिनोंदिन बढ़ रहा है। सन् 1990 के बाद तो भारत में अपनाई जा रही आर्थिक उदारीकरण तथा भूमण्डलीकरण की नीतियों ने दक्ष व प्रशिक्षित प्रबन्ध की आवश्कता कई गुनी बढ़ा दी है। विदेशी कम्पनियों से बढ़ती प्रतिस्पद्र्धा तथा बाजारों के अन्तर्राष्ट्रीयकरण ने भारतीय कम्पनियों के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। ऐसी दशा में या तो इन कम्पनियों को पेशेवर प्रबन्ध पर जोर देना होगा अन्यथा इन कम्पनियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। यह बात अब भारत की बड़ी, मध्यम तथा लघु आकार वाली सभी कम्पनियों/व्यवसायों पर लागू होती है। प्रबन्ध के इस महत्व को स्वीकार कर अब ‘प्रबन्ध विषय’ स्नातक स्तर पर लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कर लिया गया है।
इस पुस्तक की निम्न विशेषताएं हैं:
- पुस्तक की भाषा को छात्रों के स्तर का ध्यान रखते हुए सरल, रुचिकर तथा बोधगम्य बनाया गया है।
- प्रबन्ध के ऐसे सिद्धान्तों तथा अवधारणाओं को जो छात्रों की दृष्टि से समझने में कठिन हैं, भारतीय परिवेश तथा कम्पनियों के उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
- प्रबन्ध के कुछेक सिद्धान्तों को आवश्यकतानुसार तालिकाओं तथा चित्रों की सहायता से बोधगम्य बनाया गया है।
- पुस्तक में प्रत्येक अध्याय के अन्त में दीर्घ उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं, जो सामान्यतया परीक्षा में पूछे जाते हैं। छात्र को अध्याय पढ़ लेने के बाद इन प्रश्नों के उत्तर खोजने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
- लगभग प्रत्येक अध्याय में वस्तुनिष्ठ प्रश्न तीन प्रकार के दिए गए हैं साथ ही उनके उत्तर भी अंकित किए गए हैं। ये वस्तुनिष्ठ प्रश्न न केवल बी. काॅम. की परीक्षा के लिए ही उपयोगी हैं, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होंगे।
- प्रबन्ध विषय में हिन्दी शब्दावली में कुछ स्थानों पर एकरूपता नहीं पाई जाती, अतः इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए पुस्तक के सभी अध्यायों, शीर्षकों तथा उपशीर्षकों तथा कहीं-कहीं व्याख्या में भी अंग्रेजी शब्दावली कोष्ठक में दे दी गई है।
पुस्तक के इस संस्करण में निम्न अध्याय नए सम्मिलित किये गए हैं :
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास
- पूर्वानुमान
- संगठन सिद्धान्त
- निष्पादन मूल्यांकन
- अपवाद निहित प्रबंध
व्यावसाय प्रबन्ध के सिद्धान्त Principles of Business Management Book विषय-सूची
- प्रबन्ध: अवधारणा एवं प्रक्रिया
- प्रबन्ध की प्रकृति, क्षेत्र, महत्व एवं भूमिकाएं
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-I (चिर-प्रतिष्ठित दृष्टिकोण)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-II (नव प्रतिष्ठित प्रणाली व संयोगिकी दृष्टिकोण)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-III (आधुनिक विचार)
- प्रबन्धकीय विचारों का विकास-IV (मूल्य सृजन में पीटर एफ ड्रकर का योगदान)
- नियोजन (अवधारणा, महत्व, प्रकार एवं प्रक्रिया)
- रणनीतिक नियोजन
- पूर्वानुमान
- निर्णयन (अवधारणा प्रक्रिया तकनीकें तथा परिबद्ध तर्कशक्ति)
- उद्देश्य निहित प्रबंध
- संगठन (अवधारणा, प्रकृति, प्रक्रिया व महत्व)
- संगठन सिद्धान्त
- संगठन संरचना का डिजाइन
- नियंत्रण का विस्तार
- अधिकार, उत्तरदायित्व तथा अधिकार-अंतरण (भारार्पण)
- विभागीकरण
- केन्द्रीकरण व विकेन्द्रीकरण
- स्टाफिंग (नियुक्तियां): प्रकृति, कार्य एवं महत्व
- मानव संसाधन नियोजन, भरती एवं चयन
- प्रशिक्षण एवं विकास
- निष्पादन मूल्यांकन
- निदेशन (संचालन)
- अभिप्रेरणा (अवधारणा, उद्देश्य, सिद्धान्त एवं प्रेरक)
- नेतृत्व
- समन्वय
- नियन्त्रण, प्रकृति, प्रक्रिया एवं महत्व
- अपवाद निहित प्रबंध
- परिवर्तन-प्रबन्ध: अवधारणा, प्रकृति एवं प्रक्रिया
- प्रबन्ध के उभरते हुए क्षितिज
- प्रबंध के कार्यात्मक क्षेत्र
- सम्प्रेषण (सन्देशवाहन)
Raj Narayan –
Very nice book
Vanah –
Good language